क्या भारत ने पाकिस्तान को मानवाधिकार के उल्लंघन पर फिर से आईना दिखाया?
सारांश
Key Takeaways
- भारत ने पाकिस्तान को मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया।
- संयुक्त राष्ट्र में भारत ने पाकिस्तान की लोकतांत्रिक स्थिति पर सवाल उठाए।
- जम्मू और कश्मीर में हाल के विद्रोह की घटनाएं बढ़ रही हैं।
संयुक्त राष्ट्र, २५ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को एक मजबूत जवाब दिया। भारत ने कहा कि लोकतंत्र और संविधान की मूल अवधारणाओं से पाकिस्तान की दूरी स्पष्ट है। जो देश सेना के छुपे हुए संरक्षण में कार्य करता है, वह लोकतंत्र का असली अर्थ नहीं समझ सकता।
भारत ने इस्लामाबाद से मांग की है कि वह उन क्षेत्रों में दमनात्मक गतिविधियों को समाप्त करे, जिन पर उसने अवैध कब्जा कर रखा है।
भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने शुक्रवार को कहा, "जम्मू और कश्मीर के लोग भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं और संवैधानिक संरचना के अनुसार अपने मौलिक अधिकारों का उपयोग कर रहे हैं। हम जानते हैं कि पाकिस्तान इन अवधारणाओं से पूरी तरह अनभिज्ञ है।"
उन्होंने यह भी कहा, "हम पाकिस्तान से यह मांग करते हैं कि वह उन क्षेत्रों में मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघनों को समाप्त करे, जिन पर उसने अवैध कब्जा किया है। वहाँ की जनता पाकिस्तान के सैन्य कब्जे, दमन, और संसाधनों के अवैध दोहन के खिलाफ खड़ी हो रही है।"
आपको बता दें, २४ अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अपनी स्थापना की ८०वीं वर्षगांठ मनाई। इस अवसर पर "भविष्य की ओर देखना" विषय पर चर्चा हुई। इस बैठक में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ्तिखार अहमद ने १९४८ के प्रस्ताव का उल्लेख करते हुए भ्रामक बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि "जनमत संग्रह" संबंधित सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव अधूरा है।
अप्रैल १९४८ के प्रस्ताव संख्या ४७ में यह मांग की गई थी कि पाकिस्तान अपने सशस्त्र बलों को उन क्षेत्रों से हटाए जिन पर उसने आक्रमण किया था। लेकिन पाकिस्तान ने इस महत्वपूर्ण तथ्य को भुला दिया।
हाल के समय में जो तस्वीरें सामने आई हैं, वे यह दिखाती हैं कि पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जा किए गए क्षेत्रों में कश्मीरियों ने विद्रोह किया है। विद्रोह के दौरान कम से कम १२ लोगों की जान गई है।
हरीश ने सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के उल्लंघन में पाकिस्तान के कब्जे और मानवाधिकारों के उल्लंघन की बात की और इस्लामाबाद की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, "संयुक्त राष्ट्र के सामने आतंकवाद के प्रति पाकिस्तान की प्रतिक्रिया से अधिक महत्वपूर्ण कुछ नहीं है।"
भारतीय प्रतिनिधि हरीश ने पाकिस्तान के कब्जे और वहां मानवाधिकारों के उल्लंघन पर प्रकाश डाला और इस्लामाबाद की सख्त आलोचना की।