क्या भारत ने पेरू को 250,000 सेलाइन बोतलें भेजकर ग्लोबल साउथ के साथ एकजुटता की प्रतिबद्धता को फिर से दर्शाया?

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क्या भारत ने पेरू को 250,000 सेलाइन बोतलें भेजकर ग्लोबल साउथ के साथ एकजुटता की प्रतिबद्धता को फिर से दर्शाया?

सारांश

भारत ने पेरू को 250,000 सेलाइन बोतलें भेजकर डिहाइड्रेशन से पीड़ित मरीजों के लिए सहायता प्रदान की है। यह कार्य दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों और भारत की वैश्विक स्वास्थ्य साझेदारी के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। जानें इस सहायता के पीछे की कहानी और इसके महत्व के बारे में।

Key Takeaways

  • भारत ने पेरू को 250,000 सेलाइन बोतलें भेजी हैं।
  • ग्लोबल साउथ के साथ एकजुटता को दर्शाता है।
  • यह सहायता डिहाइड्रेशन से प्रभावित मरीजों के लिए है।
  • भारत और पेरू के बीच सहयोग के कई क्षेत्र हैं।
  • भारत ने पहले भी पेरू को महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की है।

लीमा, 13 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत ने पेरू में डिहाइड्रेशन से प्रभावित मरीजों की सहायता के लिए आगे बढ़ते हुए 250,000 से अधिक सलाइन बोतलें भेजी हैं। यह कदम भारत की दक्षिण अमेरिकी देश के प्रति सहयोग की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

पेरू में भारतीय राजदूत विश्वास सपकाल ने शुक्रवार को पेरू के स्वास्थ्य मंत्रालय को यह खेप सौंपी। पेरू के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने भारत सरकार द्वारा प्रदान की गई सहायता की सराहना की। इनमें स्वास्थ्य मंत्रालय के इंटरनेशनल कोऑपरेशन के डायरेक्टर जनरल अल्बर्टो तेजादा कॉनरॉय, नेशनल सेंटर फॉर द सप्लाई ऑफ स्ट्रेटेजिक हेल्थ रिसोर्सेज (सीईएनएआरईएस) के जॉइंट डायरेक्टर एरिक वास्केज काल्डेरोन और विदेश मंत्रालय के डायरेक्टर एबेल कार्डेनस शामिल हैं।

भारत ने अपने ग्लोबल साउथ साझेदारों के साथ एकता दिखाते हुए 32 टन मानवीय सहायता भेजी, जिसमें 250,000 यूनिट फिजियोलॉजिकल सेलाइन सॉल्यूशन शामिल है।

विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "ग्लोबल साउथ के साझेदारों के रूप में एक-दूसरे का ख्याल रखते हुए, भारत ने पेरू को 32 टन मानवीय सहायता भेजी है।

भारत-पेरू के संबंध हमेशा से मजबूत रहे हैं। दोनों देशों के बीच स्वास्थ्य, ऊर्जा, खनन, वस्त्र, कृषि, विज्ञान, तकनीक, रक्षा, अंतरिक्ष, क्षमता निर्माण, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे कई क्षेत्रों में सहयोग जारी है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत और पेरू कई अन्य क्षेत्रों में भी सहयोग कर रहे हैं।

2023 में, भारत ने गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के बढ़ते मामलों के मद्देनजर पेरू के स्वास्थ्य मंत्रालय को 1000 वायल मानव इम्युनोग्लोबुलिन की भी सहायता की थी। भारत नियमित रूप से अपने ग्लोबल साउथ साझेदारों को मानवीय सहायता पहुंचाता है।

पिछले महीने, भारत ने तिमोर-लेस्ते को रेबीज वैक्सीन की 10,000 डोज और रेबीज इम्युनोग्लोबुलिन की 2,000 वायल भेजी थी। विदेश मंत्रालय ने ग्लोबल साउथ के लिए एक विश्वसनीय स्वास्थ्य साझेदार बनने की भारत की प्रतिबद्धता का उल्लेख किया।

विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर कहा, "भारत ने रेबीज वैक्सीन की 10,000 डोज और रेबीज इम्युनोग्लोबुलिन की 2,000 वायल तिमोर-लेस्ते भेजी है ताकि बीमारी के प्रसार को रोकने में सहायता मिल सके। भारत ग्लोबल साउथ के लिए एक विश्वसनीय स्वास्थ्य साझेदार बनने के लिए प्रतिबद्ध है।"

—राष्ट्र प्रेस

केके/एएस

Point of View

बल्कि यह दर्शाता है कि भारत कैसे वैश्विक स्वास्थ्य सहयोग के प्रति प्रतिबद्ध है। ऐसे प्रयासों से भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति मजबूत होती है और यह वैश्विक साउथ के साथ एकजुटता को भी दर्शाता है।
NationPress
13/12/2025

Frequently Asked Questions

भारत ने पेरू को कितनी सलाइन बोतलें भेजी हैं?
भारत ने पेरू को 250,000 सेलाइन बोतलें भेजी हैं।
इस सहायता का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इस सहायता का मुख्य उद्देश्य डिहाइड्रेशन से पीड़ित मरीजों की मदद करना है।
भारत और पेरू के बीच संबंध कैसे हैं?
भारत और पेरू के बीच संबंध पारंपरिक रूप से अच्छे रहे हैं और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग जारी है।
क्या भारत ने पहले भी पेरू को मदद की है?
हाँ, भारत ने पहले भी पेरू को मानव इम्युनोग्लोबुलिन और अन्य आवश्यक दवाइयाँ भेजी हैं।
भारत का ग्लोबल साउथ के प्रति क्या दृष्टिकोण है?
भारत ग्लोबल साउथ के देशों के लिए एक विश्वसनीय साझेदार बनने की कोशिश कर रहा है और नियमित रूप से मानवीय सहायता प्रदान कर रहा है।
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