क्या भारत और पाकिस्तान के सीजफायर का क्रेडिट लेने की होड़ में चीन ने कदम रखा?
सारांश
Key Takeaways
- भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर में चीन की भागीदारी की चर्चा हो रही है।
- अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस मामले में दावे किए हैं।
- भारत ने किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को नकारा है।
नई दिल्ली, 31 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत और पाकिस्तान के बीच ऑपरेशन सिंदूर के पश्चात हुए सीजफायर पर वैश्विक राजनीति का मंजर देखने को मिल रहा है। पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार यह दावा किया था कि उनकी वजह से भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध थमा। अब इस क्रेडिट की लड़ाई में चीन ने भी अपनी भागीदारी दिखाई है। हालांकि, भारत ने किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को हमेशा नकारा किया है।
हाल ही में, चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भारत और पाकिस्तान के साथ-साथ कंबोडिया और थाईलैंड जैसे तनावग्रस्त क्षेत्रों में शांति की बहाली के लिए अपने योगदान का क्रेडिट लिया है। हालांकि, भारत से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
अंतर्राष्ट्रीय स्थिति और चीन के विदेश संबंधों पर एक संपोजियम में बोलते हुए वांग यी ने कहा, "इस वर्ष की स्थानीय लड़ाइयाँ द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के किसी भी समय से अधिक बार भड़की हैं। भू-राजनीतिक उथल-पुथल जारी है। स्थायी शांति के लिए, हमने एक उद्देश्य के साथ सही रवैया अपनाया है और लक्षणों और वास्तविक वजहों का समाधान करने पर ध्यान केंद्रित किया है।"
उन्होंने आगे कहा, "हमने हॉटस्पॉट मुद्दों का समाधान करने के लिए चीन के तरीके को अपनाया है, जिसमें उत्तरी म्यांमार, ईरानी परमाणु मुद्दा, पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव, फिलिस्तीन और इजरायल के बीच का मुद्दा, और कंबोडिया और थाईलैंड के बीच के हालिया झगड़ों में मध्यस्थता की है।"
ज्ञात रहे, डोनाल्ड ट्रंप ने कई बार कहा है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को रोका। लेकिन भारत इन दावों को लगातार खारिज करता आ रहा है।
हालांकि, ऑपरेशन सिंदूर के पहले दिन चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत का सैन्य अभियान उसे अफसोसजनक लगा है। इसके साथ ही, पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर चीन ने स्पष्ट किया कि वह हर प्रकार के आतंकवाद का विरोध करता है। साथ ही, चीन ने दोनों पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील की है।