क्या भारत सेमीकंडक्टर वैल्यू चेन के हब के रूप में उभरने के लिए तैयार है?

सारांश
Key Takeaways
- भारत की सेमीकंडक्टर यात्रा
- दुनिया में सेमीकंडक्टर पेशेवरों की कमी
- भारत सरकार
- स्टार्टअप्स
- मेड इन इंडिया
नई दिल्ली, 3 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री कार्यालय ने बुधवार को केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के एक लेख पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें उल्लेख किया गया है कि आने वाले दशक में जैसे-जैसे भारत की सेमीकंडक्टर यूनिट्स बढ़ती और परिपक्व होती जाएंगी, वैसे-वैसे देश सेमीकंडक्टर वैल्यू चेन के लिए एक प्रतिस्पर्धात्मक केंद्र के रूप में उभरने के लिए तैयार हो जाएगा।
पीएमओ ने कहा, "केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारत की सेमीकंडक्टर यात्रा पर एक लेख लिखा है, जिसमें बताया गया है कि 'सेमीकॉन इंडिया समिट 2025' इसी दिशा में निरंतरता का प्रतीक है।"
वैष्णव के लेख में सेमीकंडक्टर को स्टील, बिजली, दूरसंचार, रसायन और परिवहन जैसे आधारभूत क्षेत्रों का महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया है। ये लगभग हर चीज के अंदर छिपे हुए इंजन हैं, जिसका हम उपयोग करते हैं।
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा है कि भविष्य में सेमीकंडक्टर की मांग बढ़ती ही जाएगी।
भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स की खपत और उत्पादन अभूतपूर्व गति से बढ़ रहा है।
आज भारत में 65 करोड़ से अधिक स्मार्टफोन उपयोगकर्ता हैं और हमारा इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण सालाना 12 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच रहा है।
साथ ही, देश एआई-आधारित प्रणाली, डेटा सेंटर और सेमीकंडक्टर चिप्स की आवश्यकता वाले इलेक्ट्रिक वाहनों का विकास भी कर रहा है।
यह मांग और नवाचार में वृद्धि भारत के लिए वैश्विक सेमीकंडक्टर वैल्यू चेन में अपनी स्थिति सुनिश्चित करना आवश्यक बनाती है।
लेख में कहा गया है, "दशकों से, भारत को सेमीकंडक्टर क्षेत्र में 'छूट' गया माना जाता रहा है। अब यह सत्य नहीं है। इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के तहत, 10 सेमीकंडक्टर प्लांट को मंजूरी दी गई है। इनका निर्माण तेजी से चल रहा है। आज, हम विश्वास के साथ कह सकते हैं कि पहली 'मेड इन इंडिया' चिप इसी वर्ष बाजार में आ जाएगी। साणंद में एक इकाई में पायलट उत्पादन लाइन पहले ही शुरू हो चुकी है और एक वर्ष के भीतर, हमें उम्मीद है कि चार और यूनिट उत्पादन में लग जाएंगी। एप्लाइड मैटेरियल्स, लैम रिसर्च, मर्क और लिंडे जैसे वैश्विक दिग्गज कारखानों और आपूर्ति श्रृंखला को समर्थन देने में निवेश कर रहे हैं। यह इकोसिस्टम दृष्टिकोण भारत में उद्योग के दीर्घकालिक विकास पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ध्यान को दर्शाता है।"
हमारे प्रधानमंत्री का स्पष्ट दृष्टिकोण, कार्यान्वयन पर ध्यान, पेशेवरों के हाथों में निर्णय लेने की प्रक्रिया, वैश्विक सहयोग और राज्य सरकारों का मजबूत समर्थन जैसे कई कारकों के संयोजन से इतनी कम अवधि में यह बड़ी सफलता मिली है।
भारत की असली ताकत, यानी उसके लोगों का दोहन करने के लिए नीतियां और निवेश महत्वपूर्ण हैं। वर्तमान में भारत में वैश्विक डिजाइन कार्यबल का 20 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है।
एक उद्योग अनुमान के अनुसार, अगले दशक की शुरुआत तक दुनिया में दस लाख से अधिक सेमीकंडक्टर पेशेवरों की कमी होने की आशंका है। भारत इस कमी को पूरा करने की तैयारी कर रहा है। 350 संस्थानों और स्टार्टअप्स के 60,000 से अधिक उपयोगकर्ता भारत सरकार द्वारा निःशुल्क प्रदान किए गए विश्वस्तरीय इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन ऑटोमेशन (ईडीए) उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं।
स्टार्टअप्स मजबूत सरकारी समर्थन से भारत के चिप डिजाइन इकोसिस्टम को मजबूत बना रहे हैं।
माइंडग्रोव टेक्नोलॉजीज, आईआईटी मद्रास द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित शक्ति प्रोसेसर पर आधारित आईओटी चिप्स का विकास कर रही है।
एक अन्य स्टार्टअप, नेत्रसेमी ने हाल ही में रिकॉर्ड 107 करोड़ रुपए की फंडिंग प्राप्त की है। यह भारत के सेमीकंडक्टर डिजाइन क्षेत्र में सबसे बड़े वेंचर कैपिटल निवेशों में से एक है, जो इस क्षेत्र में निवेशकों के बढ़ते विश्वास को दर्शाता है।