क्या भारत-यूके एफटीए दोनों देशों के लिए फायदेमंद है?

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क्या भारत-यूके एफटीए दोनों देशों के लिए फायदेमंद है?

सारांश

पृथ्वीराज चव्हाण ने भारत-यूके एफटीए पर अपनी राय व्यक्त की है, जिससे दोनों देशों के व्यापार में वृद्धि होने की संभावना है। समझौते से भारतीय उत्पादों को ब्रिटिश बाजार में बेहतर पहुँच मिलेगी। जानें चव्हाण के विचार और इसके संभावित लाभों के बारे में।

Key Takeaways

  • भारत-यूके एफटीए से व्यापार में वृद्धि होगी।
  • ब्रिटिश उत्पाद भारत में सस्ते होंगे।
  • किसानों और एमएसएमई को लाभ होगा।
  • ट्रंप की नीतियों ने डब्ल्यूटीओ को कमजोर किया है।
  • मराठी भाषा का शास्त्रीय दर्जा मिलना आवश्यक है।

मुंबई, 25 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रमुख नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने भारत और यूके के बीच हाल ही में संपन्न हुए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों ने डब्ल्यूटीओ को कमजोर कर दिया है, जिसे अमेरिका ने वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया था।

चव्हाण ने कहा, "ट्रंप ने डब्ल्यूटीओ को तोड़-मरोड़ दिया है। बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था को कमजोर किया गया है, इसलिए अब भारत जैसे देशों को द्विपक्षीय समझौते करने पड़ रहे हैं।"

उन्होंने भारत-यूके एफटीए को एक महत्वपूर्ण कदम बताते हुए कहा कि यह समझौता दोनों देशों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा। इस समझौते के अंतर्गत ब्रिटिश ऑटोमोबाइल्स और स्कॉच व्हिस्की जैसी वस्तुओं पर आयात शुल्क कम करने का प्रावधान है, जिससे भारत में ये उत्पाद सस्ते हो जाएंगे। ट्रंप की टैरिफ नीतियां वैश्विक व्यापार को नुकसान पहुंचा सकती हैं, क्योंकि इससे आयात शुल्क बढ़ाना उनकी सोच को गलत साबित कर सकता है।

पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि भारत-यूके एफटीए से भारतीय टेक्सटाइल, समुद्री उत्पाद, रत्न-आभूषण और कृषि उत्पादों को ब्रिटिश बाजार में बेहतर पहुँच मिलेगी, जिससे किसानों, मछुआरों और एमएसएमई क्षेत्र को लाभ होगा। समझौते के संपूर्ण विवरण सामने आने पर ही इसका असली प्रभाव स्पष्ट होगा।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे पर चव्हाण ने गहरे सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि धनखड़ का स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा देने का दावा विश्वसनीय नहीं है। यदि स्वास्थ्य कारण होते, तो वे राज्यसभा सत्र शुरू होने से पहले इस्तीफा दे देते। यह भी संभव है कि धनखड़ को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया हो, और इस्तीफा पत्र भी किसी और ने तैयार किया हो। यह कोई साधारण मामला नहीं है। कुछ तो दाल में काला है।"

चव्हाण ने धनखड़ के पश्चिम बंगाल के राज्यपाल कार्यकाल को विवादास्पद बताते हुए कहा कि उन्होंने इस दौरान किस तरह से काम किया, यह सभी को पता है। बंगाल में उनके कार्यकाल में जनतंत्र का गला घोंटा गया, जिसके बाद पीएम मोदी ने उन्हें उपराष्ट्रपति बना दिया।

उन्होंने जस्टिस वर्मा मामले में कहा, "जगदीप धनखड़ और जस्टिस वर्मा के बीच क्या हुआ, क्या यह मामला सिर्फ यहीं तक सीमित है या भाजपा में गहरा गतिरोध है? दिल्ली में चर्चाएं हैं कि भाजपा में कुछ बड़े बदलाव हो सकते हैं। धनखड़ जल्द ही इस मामले की असलियत सामने लाएंगे।"

महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने मराठी को शास्त्रीय (क्लासिकल) भाषा का दर्जा देने में हुई देरी और मौजूदा सरकार की नीतियों पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि 2004 में यूपीए सरकार के सत्ता में आने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने क्लासिकल भाषा की प्रस्ताव तैयार किया। इसके तहत तमिल को पहली शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिला, जिसके बाद संस्कृत, मलयालम समेत अन्य भाषाओं को यह मान्यता दी गई।

उन्होंने आगे कहा कि जब मैं 2010 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने मराठी भाषा विभाग की समीक्षा के दौरान पाया कि मराठी को शास्त्रीय दर्जा दिलाने के लिए कोई कार्यवाही नहीं हुई थी। उसके बाद तुरंत रंगनाथ पाठारे की अध्यक्षता में एक समिति गठित की, जिसने 2013 में मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिलाने के लिए प्रस्ताव तैयार किया। यह प्रस्ताव मराठी में था, जिसे अंग्रेजी में अनुवाद कर केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्रालय को सौंपा गया। तत्कालीन मंत्री शैलजा को यह प्रस्ताव सौंपते हुए चव्हाण ने साहित्य अकादमी से इसकी जांच जल्द करने की गुजारिश की थी। साहित्य अकादमी ने 2013 में मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की सिफारिश की, लेकिन केंद्र में सरकार बदलने के बाद यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया।

पृथ्वीराज चव्हाण ने मौजूदा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से सवाल किया कि दस साल तक इस प्रस्ताव पर फॉलो-अप क्यों नहीं किया गया? 2024 में मराठी को शास्त्रीय दर्जा मिला, लेकिन इस देरी का जिम्मेदार कौन है? मराठी भाषा के लिए दिल्ली में एक मजबूत अध्यासन स्थापित करने के लिए 25-40 करोड़ रुपये का फंड देना चाहिए। सरकार केवल वोट बैंक की राजनीति कर रही है।

Point of View

जो न केवल भारत और यूके के व्यापारिक संबंधों को प्रभावित करेगा, बल्कि इससे कई क्षेत्रों में विकास की संभावना भी बढ़ेगी। यह समझौता सही दिशा में एक कदम है, जो द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देगा।
NationPress
09/09/2025

Frequently Asked Questions

भारत-यूके एफटीए से क्या लाभ होंगे?
इस समझौते से भारतीय टेक्सटाइल, समुद्री उत्पाद, रत्न-आभूषण और कृषि उत्पादों को ब्रिटिश बाजार में बेहतर पहुँच मिलेगी।
क्या ट्रंप की नीतियों का इस पर असर है?
जी हाँ, चव्हाण के अनुसार ट्रंप की नीतियों ने बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था को कमजोर किया है।
क्या मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलेगा?
चव्हाण ने इस पर सवाल उठाया है और इसे एक आवश्यक कदम बताया है।