क्या भारत हितकारी व्यापार समझौतों को अपनाएगा? एमएसएमई को गुणवत्ता पर ध्यान क्यों देना चाहिए: पीयूष गोयल

सारांश
Key Takeaways
- भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों में तभी शामिल होगा जब वे राष्ट्र के हित में हों।
- एमएसएमई को गुणवत्ता और अनुसंधान पर ध्यान देना चाहिए।
- छोटी और बड़ी कंपनियों के बीच सहयोग की आवश्यकता है।
- सरकार को गैर-शुल्क बाधाओं के बारे में सक्रिय रूप से सूचित किया जाना चाहिए।
- वर्तमान बैंकिंग प्रणाली को पुनर्गठित किया गया है।
नई दिल्ली, 19 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एसोचैम द्वारा आयोजित 'विकसित भारत की दिशा में वैश्विक प्रभाव का सृजन' सत्र में कहा कि भारत तभी अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों में शामिल होगा जब वे देश के हितों को प्राथमिकता देंगे। उन्होंने राष्ट्र के हित को सबसे महत्वपूर्ण बताया।
उद्योग जगत के प्रमुखों और उद्यमियों के साथ संवाद करते हुए उन्होंने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र में मानसिकता में बदलाव का महत्व बताया। उन्होंने सामूहिक विकास और छोटी व बड़ी कंपनियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हमें लक्ष्य, मार्गदर्शन और मानसिकता में बदलाव लाने की आवश्यकता है। कंपनियों को एक साथ मिलकर आगे बढ़ना होगा और स्थानीय मुद्दों के प्रति सजग रहना होगा।
गोयल ने कहा कि छोटे और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए अनुसंधान, नवाचार, गुणवत्ता और विस्तार पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
उन्होंने एमएसएमई के हितधारकों से आग्रह किया कि वे सरकार को उन गैर-शुल्क बाधाओं के बारे में सूचित करें जो उनके व्यवसायों को प्रभावित कर रही हैं। उन्होंने उद्योग के दिग्गजों से कहा कि जब आप हमें सूचना देंगे, तभी हम द्विपक्षीय चर्चाओं में इन मुद्दों को उठा सकते हैं और समाधान की दिशा में काम कर सकते हैं।
व्यापक आर्थिक ढांचे पर चर्चा करते हुए उन्होंने मौजूदा बैंकिंग प्रणाली की तुलना पिछली यूपीए सरकार से की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने बैंकिंग क्षेत्र का सफलतापूर्वक पुनर्गठन किया है। यूपीए शासन में बढ़ते एनपीए के कारण बैंकिंग क्षेत्र कमजोर हो गया था। हमने इसे पारदर्शी तरीके से पुनर्गठित किया है। आज, बैंकिंग प्रणाली मजबूत है और बेहतर प्रदर्शन कर रही है।