क्या भारतीय ऑटोमोटिव इंडस्ट्री ने 2025 की दूसरी तिमाही में 1.3 अरब डॉलर के सौदे किए?

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क्या भारतीय ऑटोमोटिव इंडस्ट्री ने 2025 की दूसरी तिमाही में 1.3 अरब डॉलर के सौदे किए?

सारांश

भारत की ऑटोमोटिव इंडस्ट्री ने 2025 की दूसरी तिमाही में 1.3 अरब डॉलर के सौदों का आंकड़ा छूने में सफलता पाई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि यह वृद्धि उच्च-मूल्य वाले लेनदेन और इलेक्ट्रिक वाहनों के कारण है। जानिए इस क्षेत्र की नवीनतम गतिविधियों और भविष्य की संभावनाओं के बारे में।

Key Takeaways

  • 2025 की दूसरी तिमाही में 1.3 अरब डॉलर के सौदों की पुष्टि हुई।
  • इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग में सबसे बड़ा चालक बने रहे।
  • सौदों के औसत मूल्य में वृद्धि हुई है।
  • ऑटोटेक और मोबिलिटी-एज-ए-सर्विस का नेतृत्व रहा।
  • निजी इक्विटी में 20 सौदों का आंकड़ा स्थिर रहा।

नई दिल्ली, 14 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारत की ऑटोमोटिव इंडस्ट्री ने 2025 की दूसरी तिमाही में अपनी रणनीतिक गति बनाए रखते हुए पब्लिक मार्केट गतिविधियों सहित 1.3 अरब डॉलर मूल्य के कुल 29 लेनदेन किए। यह जानकारी सोमवार को एक रिपोर्ट में सामने आई।

ग्रांट थॉर्नटन भारत के 'दूसरी तिमाही ऑटोमोटिव डीलट्रैकर' के अनुसार, उद्योग में आईपीओ और क्यूआईपी को छोड़कर, 94.6 करोड़ डॉलर मूल्य के 28 सौदे हुए।

रिपोर्ट के अनुसार, सौदों के मूल्य में तिमाही आधार पर 36 प्रतिशत की गिरावट देखी गई; हालाँकि, 2024 की दूसरी तिमाही की तुलना में ये दोगुने हो गए।

रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है, "यह उच्च-मूल्य वाले लेनदेन की ओर एक स्पष्ट झुकाव का संकेत देता है और इसने औसत सौदे के आकार में भी वृद्धि दर्ज की, जो 1.7 करोड़ डॉलर से बढ़कर 3.4 करोड़ डॉलर हो गई।"

इस तिमाही में गतिविधियों का नेतृत्व ऑटोटेक और मोबिलिटी-एज-ए-सर्विस (एमएएएस) सेगमेंट ने किया, जो स्केलेबल, टेक-ड्रिवन मोबिलिटी सॉल्यूशन पर निवेशकों की रुचि को दर्शाता है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) सबसे बड़ा चालक बने रहे, जिनकी सौदों की मात्रा में 34 प्रतिशत और सौदों के मूल्य में 39 प्रतिशत हिस्सेदारी रही।

रिपोर्ट के अनुसार, बदलती वैश्विक व्यापार गतिशीलता, विकसित होती घरेलू नीतियों और इनवोवेशन एवं क्लीन मोबिलिटी के लिए निवेशकों की बढ़ती रुचि के कारण भारत का ऑटो सेक्टर एक अधिक सस्टेनेबल और प्रतिस्पर्धात्मक भविष्य की ओर बढ़ रहा है।

ग्रांट थॉर्नटन भारत के पार्टनर और ऑटोमोटिव उद्योग प्रमुख साकेत मेहरा ने कहा, "भारतीय ऑटो इंडस्ट्री नीतिगत बदलावों, वैश्विक व्यापार विकास और सस्टेनेबल मोबिलिटी सॉल्यूशन के लिए निवेशकों की बढ़ती रुचि के बीच संतुलन बनाते हुए रणनीतिक परिवर्तन के दौर से गुजर रही है।"

मेहरा ने आगे कहा कि इस तिमाही में सौदों के मूल्य में थोड़ी कमी आई है, लेकिन ऑटोटेक और ईवी-लेड निवेश में निरंतर वृद्धि इस सेक्टर के इनवोवेशन, मापनीयता और दीर्घकालिक प्रतिस्पर्धात्मकता की ओर झुकाव को दर्शाती है।

इस बीच, 2025 की दूसरी तिमाही में विलय और अधिग्रहण (एम एंड ए) गतिविधियों में नरमी देखी गई, जिसमें कुल 305 मिलियन डॉलर के 8 सौदे हुए, जो पिछली तिमाही की तुलना में मात्रा में 11 प्रतिशत और मूल्य में 15 प्रतिशत की गिरावट दर्शाता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि धीमी गति के बावजूद, इस अवधि में ऑटो-टेक इनोवेशन और प्लेटफ़ॉर्म-ड्रिवन कंसोलिडेशन की दिशा में एक निर्णायक मोड़ देखा गया।

2025 की दूसरी तिमाही में निजी इक्विटी (पीई) परिदृश्य स्थिर रहा, जिसमें 20 सौदे हुए, जिनका कुल मूल्य 641 मिलियन डॉलर था, जो मात्रा में 5 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है, लेकिन बड़े सौदों की अनुपस्थिति के कारण मूल्य में 43 प्रतिशत की गिरावट दर्शाता है।

Point of View

मैं यह मानता हूँ कि भारतीय ऑटोमोटिव उद्योग वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूती से खड़ा है। इसके नवीनतम आंकड़े इस बात का संकेत हैं कि उद्योग में सस्टेनेबल विकास की दिशा में सकारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं।
NationPress
21/10/2025

Frequently Asked Questions

भारतीय ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में कितने सौदे हुए?
2025 की दूसरी तिमाही में कुल 29 लेनदेन हुए, जिनका मूल्य 1.3 अरब डॉलर था।
इस तिमाही में इलेक्ट्रिक वाहनों का योगदान क्या था?
इलेक्ट्रिक वाहनों ने सौदों की मात्रा में 34% और मूल्य में 39% हिस्सेदारी बनाई।
क्या इस तिमाही में विलय और अधिग्रहण में कोई बदलाव आया?
हां, इस तिमाही में विलय और अधिग्रहण गतिविधियों में नरमी देखी गई है।