क्या भारतीय मुक्केबाजी ने 2025 में ऐतिहासिक प्रदर्शन किया?
सारांश
Key Takeaways
- भारतीय मुक्केबाज़ों ने 2025 में अद्वितीय प्रदर्शन किया।
- महिलाओं ने स्वर्ण पदक जीतकर नया इतिहास रचा।
- बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया का योगदान महत्वपूर्ण रहा।
- ग्रामीण प्रतिभाओं को मौका देने का कार्य किया गया।
- 2028 ओलंपिक में भारतीय मुक्केबाज़ों की तैयारी दिखेगी।
नई दिल्ली, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय मुक्केबाजी के लिए वर्ष 2025 अत्यंत गौरवपूर्ण रहा है। महिलाओं और पुरुषों दोनों ही वर्गों में मुक्केबाजों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन किया।
विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप और विश्व मुक्केबाजी कप फाइनल्स में भारतीय मुक्केबाजों का प्रदर्शन अविस्मरणीय रहा। आइए एक दृष्टि डालते हैं वर्ष 2025 में भारतीय मुक्केबाजों की उपलब्धियों पर।
सितंबर 2025 में लिवरपूल में आयोजित विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में भारतीय महिलाओं ने अद्भुत प्रदर्शन किया। भारत ने कुल चार पदक जीते, जिनमें दो स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य शामिल हैं। जस्मिन लांबोरिया ने 57 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा। मिनाक्षी हुडा ने 48 किग्रा में स्वर्ण, नुपुर शेरॉन ने 80+ किग्रा में रजत और पूजा रानी ने 80 किग्रा में कांस्य पदक जीता।
नवंबर 2025 में ग्रेटर नोएडा में आयोजित विश्व मुक्केबाजी कप फाइनल्स में भारत ने पदक तालिका में शीर्ष स्थान प्राप्त किया। भारतीय टीम ने कुल 20 पदक जीते, जिसमें 9 स्वर्ण, 6 रजत और 5 कांस्य शामिल थे। इस प्रतियोगिता में महिलाओं ने सात स्वर्ण पदक जीते, जो कि एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड है। नुपुर शेरॉन, मिनाक्षी और जस्मिन ने फिर से अपना प्रभावशाली प्रदर्शन किया।
भारत के मुक्केबाजी के वैश्विक मंच पर ऐतिहासिक प्रदर्शन ने इस खेल में देश के उज्ज्वल भविष्य का संकेत दिया है। खासकर महिला मुक्केबाजों ने अपने प्रभावशाली प्रदर्शन से यह साबित कर दिया है कि मैरी कॉम और निकहत जरीन की विरासत आगे बढ़ती रहेगी।
भारतीय मुक्केबाजों की इन उपलब्धियों में बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया का योगदान महत्वपूर्ण रहा है। फेडरेशन ने प्रशिक्षण शिविर, अंतरराष्ट्रीय एक्सपोजर और खेल विज्ञान को मजबूत किया है। ग्रामीण क्षेत्रों से उभरती प्रतिभाओं को भी मौका दिया गया है। 2025 में भारतीय मुक्केबाजों ने जो तैयारी की है, उसका परिणाम एशियन गेम्स और 2028 लॉस एंजेल्स ओलंपिक में देखने को मिलेगा।