क्या एशियाई युवा खेलों में भारतीय मुक्केबाजों ने रिकॉर्ड पदक जीते?
सारांश
Key Takeaways
- भारत के युवा मुक्केबाजों ने एशियाई युवा खेलों में रिकॉर्ड पदक जीते।
- तीन स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक जीतकर ऐतिहासिक सफलता
- खुशी चंद, अहाना शर्मा और चंद्रिका भोरेशी ने स्वर्ण पदक जीते।
- भविष्य में कॉमनवेल्थ और ओलंपिक जैसे मंचों पर प्रतिनिधित्व करेंगे।
- यह सफलता कठोर प्रशिक्षण का परिणाम है।
मनामा, 30 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के युवा मुक्केबाजों ने बहरीन में आयोजित तीसरे एशियाई युवा खेलों में रिकॉर्ड पदक जीतकर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। भारतीय खिलाड़ियों ने तीन स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक जीतकर महाद्वीप स्तर पर युवा मुक्केबाजी में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है।
खुशी चंद (46 किग्रा) ने चीन की लुओ जिनक्सिउ पर 4:1 से जीत हासिल कर भारत के लिए पदक का खाता खोला। रिंग में नियंत्रण और सटीकता उनकी जीत का मुख्य कारण रही। इसके बाद, अहाना शर्मा (50 किग्रा) ने कोरिया गणराज्य की मा जोंग हयांग के खिलाफ पहले राउंड में रेफरी द्वारा मुकाबले को रोके जाने के कारण जीत हासिल की। चंद्रिका भोरेशी पुजारी (54 किग्रा) ने उज्बेकिस्तान की मुहम्मदोवा कुमरिनिसो को 5:0 के निर्णायक मुकाबले में हराकर भारत के लिए तीसरा स्वर्ण जीता।
हरनूर कौर (66 किग्रा) और अंशिका (+80 किग्रा) का फाइनल मुकाबला बाकी है, जिससे स्वर्ण पदकों की संख्या और बढ़ सकती है।
लड़कों के फाइनल में, लैंचेनबा सिंह मोइबुंगखोंगबाम (50 किग्रा) कजाकिस्तान के नूरमाखान झुमगली के खिलाफ कड़े मुकाबले में हार गए। इससे पहले, अनंत देशमुख (66 किग्रा) ने कांस्य पदक हासिल किया था।
तीन स्वर्ण सहित पांच पदकों के साथ, भारत के युवा मुक्केबाजों ने एशियाई मंच पर अपनी बादशाहत को मजबूती से स्थापित कर लिया है। यह सफलता राष्ट्रीय युवा मुक्केबाजी कार्यक्रम और मुख्य प्रशिक्षक विनोद कुमार (लड़के) और जितेंद्र राज सिंह (लड़कियों) के मार्गदर्शन में एनएस एनआईएस पटियाला में आयोजित कठोर प्रशिक्षण शिविर का परिणाम है।
एशियाई युवा मुक्केबाजी में भारतीय दल का प्रदर्शन वैश्विक मंच पर भारत की इस खेल में बढ़ते दबदबे को प्रदर्शित करता है। इस टूर्नामेंट में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले मुक्केबाज ही आगे चलकर कॉमनवेल्थ और ओलंपिक जैसे वैश्विक मंचों पर देश का प्रतिनिधित्व करेंगे।