क्या भारतीय सेना रेगिस्तान में ‘अखंड प्रहार’ को अंजाम दे रही है?
सारांश
Key Takeaways
- अखंड प्रहार अभ्यास भारतीय सेना की युद्धक तत्परता को दर्शाता है।
- यह अभ्यास त्रि-सेवाओं के बीच संयुक्तता को मजबूत करता है।
- भविष्य के युद्धक्षेत्र में संवेदनशीलता की आवश्यकता को समझाता है।
- आधुनिक तकनीक का उपयोग भविष्य की युद्ध आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जा रहा है।
- इस अभ्यास ने भारतीय सशस्त्र बलों की प्रतिबद्धता को मजबूत किया है।
नई दिल्ली, 5 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय सेना अभ्यास त्रिशूल के ढांचे के तहत ‘अखंड प्रहार’ का आयोजन कर रही है। इसे भविष्य की तैयारियों के लिए एक सफल परीक्षण माना जा रहा है। इस दौरान, सेना समन्वय और युद्धक तत्परता का प्रदर्शन कर रही है। भारतीय सैन्य टुकड़ियां रेगिस्तानी वातावरण में दिन-रात संयुक्त सशस्त्र अभियानों को अंजाम दे रही हैं।
दक्षिणी कमान के तहत कोणार्क कोर के सैनिक वर्तमान में चल रहे त्रिशूल त्रि-सेवाओं के ढांचे में अभ्यास ‘अखंड प्रहार’ कर रहे हैं। इस अभ्यास के दौरान मरुस्थलीय क्षेत्र में उत्कृष्टता की नई मिसाल कायम की जा रही है। यह अभ्यास तीनों सेनाओं, अर्थात थलसेना, नौसेना और वायुसेना के बीच संयुक्तता और समन्वय की भावना को मजबूती से प्रदर्शित करता है। इस व्यापक सैन्य अभ्यास का मुख्य उद्देश्य भविष्य के युद्धक्षेत्र में समेकित संचालन की क्षमता का परीक्षण और प्रमाणीकरण करना है।
इसके अंतर्गत रेगिस्तानी भूभाग में दिन और रात के समय संयुक्त सशस्त्र ऑपरेशनों के लिए रणनीति, तकनीक और प्रक्रिया को परिष्कृत किया जा रहा है।
सेना के अनुसार, तकनीक-सक्षम और मिशन-केंद्रित यह अभ्यास भविष्य की युद्ध आवश्यकताओं के अनुरूप है। यह भारतीय सशस्त्र बलों की तत्परता और आधुनिकता को प्रदर्शित करता है। इस अभ्यास में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन नेटवर्क, सैटेलाइट संचार, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, साइबर सुरक्षा और रियल-टाइम निर्णय समर्थन प्रणाली जैसे आधुनिक साधनों का प्रभावी उपयोग किया जा रहा है। अखंड प्रहार का यह संस्करण दक्षिणी कमान की परिवर्तनशील और भविष्योन्मुखी सोच का प्रतीक है। यह सोच आधुनिक युद्धक सिद्धांतों का परीक्षण करती है।
इसके साथ ही, त्रि-सेवाओं के बीच निर्बाध एकीकरण और सामरिक तालमेल को मजबूत बनाने का कार्य भी किया जा रहा है। इसके माध्यम से भविष्य के युद्धक्षेत्र में प्रभुत्व स्थापित करने की क्षमता को भी सशक्त किया जा रहा है। यह अभ्यास भारतीय सशस्त्र बलों की अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जो राष्ट्र की रक्षा, संप्रभुता और शांति सुनिश्चित करने के लिए निरंतर तत्पर हैं।
गौरतलब है कि भारतीय सशस्त्र सेनाएं, अर्थात नौसेना, वायुसेना और थलसेना, ‘एक्सरसाइज त्रिशूल’ का संचालन कर रही हैं। यह एक प्रमुख त्रि-सेवा अभियान है जो भारतीय थलसेना, नौसेना और वायुसेना के बीच संयुक्तता और इंटरऑपरेबिलिटी को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से किया जा रहा है।
भारतीय नौसेना के नेतृत्व में थलसेना और भारतीय वायुसेना के साथ यह त्रि-सेवा संयुक्त सैन्य अभ्यास अब तक के सबसे महत्वपूर्ण युद्धाभ्यासों में शामिल है। इस व्यापक अभ्यास के दौरान तीनों सेनाएं विभिन्न भू-भागों, जैसे कि मरुस्थल, तटीय क्षेत्रों और समुद्री क्षेत्रों में एकीकृत अभियानों का प्रदर्शन कर रही हैं। इससे तीनों सेनाओं की सिनर्जी और इंटीग्रेटेड ऑपरेशंस की वास्तविक क्षमता को परखा जा रहा है।