क्या भारतीय सेना ने साइबर स्पेस, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक और कॉग्निटिव डोमेन की चुनौतियों का सामना करने के लिए युद्धाभ्यास किया?

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क्या भारतीय सेना ने साइबर स्पेस, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक और कॉग्निटिव डोमेन की चुनौतियों का सामना करने के लिए युद्धाभ्यास किया?

सारांश

भारतीय सेना ने भविष्य के युद्ध के लिए एक महत्वपूर्ण युद्धाभ्यास का आयोजन किया है, जिसमें त्रि-सेवा की भागीदारी के साथ साइबर, स्पेस, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक और कॉग्निटिव डोमेन में उभरते खतरों का सामना किया गया। इस अभ्यास ने नई रणनीतिक सीखों का प्रदर्शन किया और भविष्य के संघर्षों के परिदृश्य का अनुकरण किया।

Key Takeaways

  • भविष्य के युद्धों की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण रणनीतियाँ विकसित की गईं।
  • साइबर और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक डोमेन में उभरते खतरों का सामना करने के लिए तैयारियाँ की गईं।
  • संयुक्तता और आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में नए मानक स्थापित हुए।

नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय सेना ने भविष्य के युद्धों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण युद्धाभ्यास का आयोजन किया है। इस अभ्यास में त्रि-सेवा की भागीदारी रही, जिसमें सैन्य कमांडर्स, स्टाफ और सैनिकों ने परंपरागत युद्ध कौशल के साथ-साथ साइबर, स्पेस, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक और कॉग्निटिव डोमेन में उभरते खतरों से निपटने की चुनौतियों का सामना किया। चार दिनों तक चले इस गहन सैन्य अभ्यास के दौरान भविष्य के संघर्षों के परिदृश्य का अनुकरण और नेतृत्व कौशल का प्रदर्शन हुआ।

सेना की उत्तरी कमान के तत्वावधान में आयोजित इस त्रि-सेवा मल्टी डोमेन अभ्यास ने भारत की नेक्स्ट-जनरेशन वॉरफेयर के लिए तैयारी के नए मानक स्थापित किए हैं। इस अभ्यास के दौरान सैन्य कमांडर्स और स्टाफ को साइबर, स्पेस, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक और कॉग्निटिव डोमेन में उभरते खतरों से निपटने की चुनौतियों का सामना कराया गया। इसमें केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों, तीनों सेनाओं, केंद्रीय एजेंसियों और निजी क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने मिलकर भागीदारी की, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि आज की जटिल सुरक्षा परिस्थितियों में ‘राष्ट्रव्यापी समन्वित दृष्टिकोण’ अत्यंत आवश्यक है।

स्वदेशी रक्षा उद्योग की भागीदारी ने संयुक्तता, आत्मनिर्भरता और नवाचार के क्षेत्र में एक नया मानक स्थापित किया। इस अभ्यास के दौरान अग्रिम क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को साइबर अतिक्रमण, स्पेक्ट्रम सैचुरेशन, इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग, स्पूफिंग और कॉग्निटिव अटैक जैसी स्थितियों से निपटने का अभ्यास कराया गया।

इस अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा ने उत्तरी कमांड के सैन्य अधिकारियों और सैनिकों से बातचीत की। उन्होंने कहा, “आधुनिक युद्धों में विभिन्न क्षेत्रों की सीमाएं धुंधली हो चुकी हैं। ऐसे में हमें नवोन्मेषी सोच के साथ नवीन तकनीक का अधिकतम उपयोग करना होगा। देश की भौगोलिक अखंडता और महत्वपूर्ण परिसंपत्तियों की रक्षा के लिए राष्ट्र के सभी अंगों को एकजुट होकर काम करना होगा, ताकि आवश्यकता पड़ने पर शत्रु के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई भी प्रभावी रूप से की जा सके।”

यह अभ्यास 4 अक्टूबर को मथुरा में आयोजित ‘संवाद’ कार्यक्रम में हुई चिंतनशील चर्चाओं से प्रेरित होकर प्रारंभ किया गया था। इस अभ्यास ने सिद्ध किया कि भविष्य के युद्धों की तैयारी खुले विचारों, सामूहिक सहयोग और सुगठित टीमवर्क से ही संभव है। इस अभ्यास के उपरांत उत्तरी कमान अब अधिक सशक्त, समन्वित और दूरदर्शी बनकर उभरते खतरों का सामना करने के लिए तैयार है। इससे जवानों को रणनीतिक सोच और बहु-क्षेत्रीय समन्वय के साथ राष्ट्र की सीमाओं और सम्मान की रक्षा का बल मिलेगा।

Point of View

जिसमें सभी संबंधित एजेंसियों की सक्रिय भागीदारी महत्वपूर्ण है।
NationPress
21/10/2025

Frequently Asked Questions

भारतीय सेना ने यह युद्धाभ्यास कब और कहाँ आयोजित किया?
यह युद्धाभ्यास 17 अक्टूबर को नई दिल्ली में आयोजित किया गया।
इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य क्या था?
अभ्यास का मुख्य उद्देश्य भविष्य के युद्धों के लिए तैयारियों को मजबूत करना और उभरते खतरों से निपटने की क्षमताओं को विकसित करना था।
इस अभ्यास में किन-किन सेनाओं ने भाग लिया?
इसमें भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना की भागीदारी थी।