क्या भारतीय वायु सेना मिग-21 फाइटर जेट को रिटायर कर रही है और तेजस मार्क-1ए मिलेंगे?

सारांश
Key Takeaways
- मिग-21 का रिटायरमेंट 19 सितंबर को होगा।
- स्वदेशी तेजस मार्क-1ए जल्द ही वायु सेना में शामिल होगा।
- मिग-21 को बार-बार हादसों का शिकार होने के कारण 'उड़ता ताबूत' कहा जाता है।
- भारतीय वायु सेना ने 83 तेजस विमानों का ऑर्डर दिया है।
- हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) तेजस का निर्माण कर रही है।
नई दिल्ली, 22 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय वायु सेना अपने मिग-21 लड़ाकू विमान को सद forever के लिए अलविदा कहने की योजना बना रही है। 19 सितंबर को यह विमान भारतीय वायु सेना के बेड़े से बाहर हो जाएगा। मिग-21 भारतीय वायु सेना के सबसे पुराने और ऐतिहासिक लड़ाकू विमानों में से एक है।
रक्षा अधिकारियों के अनुसार, चंडीगढ़ एयरबेस पर 23 स्क्वाड्रन (पैंथर्स) के विशेष समारोह में इन विमानों को विदाई दी जाएगी। ध्यान देने योग्य है कि समय के साथ पुराने होते और कई हादसों का शिकार होने के कारण मिग-21 को 'उड़ता ताबूत' कहा जाने लगा था।
मिग-21 पहले भारतीय वायु सेना का एक भरोसेमंद और मजबूत लड़ाकू विमान था। इस विमान ने 1965 के भारत-पाक युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके बाद, 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम और 1999 के कारगिल युद्ध में भी मिग-21 की महत्वपूर्ण भूमिका रही। हाल ही में, बालाकोट एयर स्ट्राइक में भी इसका योगदान था। मिग-21 को 1963 में भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया था, और यह भारत का पहला सुपरसोनिक जेट था। यह विमान 62 वर्षों तक भारतीय वायु सेना का हिस्सा रहा है।
मिग-21 के रिटायर होने के बाद, वायु सेना की स्क्वाड्रन की संख्या 29 रह जाएगी, जो 1965 के युद्ध के समय की संख्या से भी कम है। इस कमी को स्वदेशी तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमानों से पूरा किया जा सकता है। मिग-21 सोवियत संघ से खरीदा गया था और इसे 1963 में सेवा में शामिल किया गया था। इसका आखिरी ऑपरेशन 2025 में ऑपरेशन सिंदूर में हुआ था।
बता दें कि मिग-21 का सबसे नया वर्जन, मिग-21 बाइसन, 2000 में अपग्रेड किया गया था। फिर भी, मिग-21 लगातार कई हादसों का शिकार होता रहा। पिछले 60 वर्षों में कई मिग-21 दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं, जिससे कई पायलटों की जान भी गई है। इसलिए इसे 'उड़ता ताबूत' कहा जाने लगा है। वहीं, तेजस मार्क-1ए के निर्माण में तेजी लाई जा रही है। अमेरिकी कंपनी ने भारत को जेट इंजन की सप्लाई शुरू कर दी है। स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस मार्क-1ए के लिए भारत को जीई-404 इंजन प्राप्त हुआ है।
रक्षा अधिकारियों के अनुसार, यह अमेरिकी कंपनी से प्राप्त दूसरा जेट इंजन है। सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय विमानन कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) तेजस का निर्माण कर रही है। जानकारी के मुताबिक, एचएएल को इस वित्त वर्ष के अंत तक कुल 12 जीई-404 इंजन मिलने हैं, जो सभी भारतीय लड़ाकू विमान तेजस मार्क-1ए में लगाए जाएंगे।
महत्वपूर्ण है कि भारतीय वायु सेना ने अपनी फ्लीट के लिए 83 एलसीए मार्क-1ए लड़ाकू विमानों का ऑर्डर दिया है। दरअसल, भारतीय वायु सेना को नए लड़ाकू विमानों की आवश्यकता है, जिसके लिए स्वदेशी विकल्प चुना गया है।