क्या भारतीय लड़ाकू विमान जटिल कृत्रिम हवाई युद्ध परिदृश्यों में उड़ान भर रहे हैं?
सारांश
Key Takeaways
- अभ्यास में सुखोई (एसयू-30 एमकेआई) विमानों का उपयोग किया गया।
- द्विपक्षीय सहयोग से सामरिक संबंध मजबूत हो रहे हैं।
- अभ्यास में उच्च स्तर की संचालन क्षमता का प्रदर्शन हुआ।
नई दिल्ली, 26 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। फ्रांस और भारतीय वायु सेना द्विपक्षीय वायु अभ्यास 'गरुड़ 25' में सक्रिय रूप से भाग ले रही है। भारतीय वायुसेना और फ्रांस की एयर एंड स्पेस फोर्स के बीच यह संयुक्त युद्धाभ्यास अब अपने अंतिम चरण में पहुँच गया है।
युद्धाभ्यास के दौरान, भारतीय वायुसेना के सुखोई (एसयू-30 एमकेआई) लड़ाकू विमानों ने फ्रांस के बहुउद्देशीय लड़ाकू विमानों के साथ जटिल कृत्रिम हवाई युद्ध परिदृश्यों में उड़ान भरी। इस दौरान हवाई हमलों का प्रभावशाली अभ्यास किया गया। यह अभ्यास हवा से हवा में युद्ध, वायु रक्षा, और संयुक्त हमलों पर केंद्रित था।
यह अभियान फ्रांस में चल रहा है, जहाँ दोनों देशों के पायलट और तकनीकी दल उच्च स्तर की संचालन क्षमता बनाए हुए हैं। इस दौरान, विभिन्न मिशन प्रोफाइल को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया है, जिसमें एयर-टू-एयर कॉम्बैट, एयर डिफेंस, लंबी दूरी की स्ट्राइक मिशन, एयर-टू-ग्राउंड समन्वय, और रणनीतिक एयर ऑपरेशंस शामिल हैं।
अभ्यास के दौरान, भारतीय वायुसेना और फ्रेंच एयर एंड स्पेस फोर्स की टीमों ने असाधारण पेशेवर दक्षता और सटीकता का परिचय दिया। जटिल परिस्थितियों में भी दोनों देशों के पायलटों ने बेहतरीन निर्णय क्षमता और मिशन कार्यान्वयन कौशल प्रदर्शित किया। यह अभ्यास इंटरऑपरेबिलिटी अर्थात् संयुक्त संचालन की क्षमता को और मजबूत बनाता है।
भारतीय वायुसेना के अनुसार, इस संयुक्त सैन्य अभ्यास का उद्देश्य दोनों देशों की वायु सेनाओं के बीच रणनीतिक समझ, आधुनिक युद्धक तकनीकों का आदान-प्रदान, और संयुक्त ऑपरेशनल क्षमताओं को बढ़ाना है। इस दौरान, दोनों पक्षों ने उन्नत प्लेटफॉर्म, हथियार प्रणालियों और संचार नेटवर्क के उपयोग पर विशेष ध्यान केंद्रित किया, जिससे रियल-टाइम समन्वय और मिशन-प्लानिंग बेहद प्रभावी रही।
फ्रेंच दल के साथ यह सहयोग न केवल सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि दोनों देशों के बीच रक्षा साझेदारी को मजबूत करता है। वहीं, फ्रांस की एयर एंड स्पेस फोर्स ने भी भारतीय वायुसेना की तैयारी, पेशेवर रवैये और आधुनिक क्षमताओं की प्रशंसा की है। यह द्विपक्षीय अभ्यास भारत-फ्रांस रक्षा सहयोग की मजबूती, पारस्परिक विश्वास और व्यापक रणनीतिक साझेदारी का प्रमाण है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह बढ़ती समझ दोनों देशों की वायु सेनाओं को भविष्य के संयुक्त मिशनों और क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में और सक्षम बनाएगी।
गौरतलब है कि फ्रांस के मोंट-डे-मार्सन में भारतीय वायुसेना 16 नवंबर से यह अभ्यास कर रही है। यह अभ्यास 27 नवंबर तक जारी रहेगा। भारतीय वायुसेना की टुकड़ी यहां 10 नवंबर को फ्रांस पहुंची थी। अभ्यास के इंडक्शन और डी-इंडक्शन चरणों के लिए सी-17 ग्लोबमास्टर द्वारा एयरलिफ्ट सहायता प्रदान की गई। अभ्यास में शामिल लड़ाकू विमानों के रेंज और स्थायित्व को बढ़ाने के लिए आईएल-78 हवा से हवा में ईंधन भरने वाले टैंकरों का भी उपयोग किया गया। इस अभ्यास का उद्देश्य एक वास्तविक प्रचालन वातावरण में रणनीति और प्रक्रियाओं को परिष्कृत करना था। गरुड़ 25 अभ्यास के दौरान दोनों वायु सेनाओं के बीच प्रोफेशनल बातचीत, ज्ञान के आदान-प्रदान और सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को साझा किया गया है।