क्या भीलवाड़ा में गौवंश और प्रकृति का अनूठा संगम है? गृहणियों ने श्रद्धा से गोवर्धन पूजा की

सारांश
Key Takeaways
- गोवर्धन पूजा का आयोजन हर साल धूमधाम से होता है।
- गृहणियाँ गौ-सेवा और अन्नकूट बनाने में भाग लेती हैं।
- यह पर्व प्रकृति और गौ-सेवा का प्रतीक है।
- स्वास्थ्यवर्धक अन्नकूट का भोग भगवान को अर्पित किया जाता है।
- स्थानीय परंपराएँ इस पर्व को और भी विशेष बनाती हैं।
भीलवाड़ा, 22 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बुधवार को देशभर में गोवर्धन का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। विभिन्न राज्यों में इसे अपनी-अपनी परंपरा के अनुसार मनाया जाता है।
राजस्थान के भीलवाड़ा शहर सहित अन्य जिलों में गोवर्धन पूजा का पर्व पूरे उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। यह पर्व केवल भगवान विष्णु को समर्पित नहीं है, बल्कि प्रकृति और गौ-सेवा का प्रतीक भी है। इस दिन, घरों में अन्नकूट बनाने के साथ-साथ गौ सेवा भी की जाती है।
भीलवाड़ा में गोवर्धन पूजा पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हो रही है। गृहणियों ने श्रद्धा और भक्ति भाव से पहले भगवान विष्णु का गोवर्धन अवतार बनाकर, गोबर से छोटी-छोटी गायों की आकृतियाँ बनाई। परंपरा के अनुसार, इन आकृतियों को फूलों और प्राकृतिक सामग्री से सजाया गया और विधिपूर्वक पूजन किया गया। इसके बाद, अन्नकूट बनाकर इसे पहले गोवर्धन महाराज को अर्पित किया गया और फिर गौवंश को भी अन्नकूट खिलाया गया।
इस अवसर पर गृहणी शिवानी ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि गोवर्धन के दिन सभी महिलाएँ मिलकर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत और भगवान कृष्ण की प्रतिमा बनाती हैं। वे इस दिन इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों की रक्षा के लिए आभार व्यक्त करती हैं। हम भगवान से यही प्रार्थना करते हैं कि सबके घर पर भगवान अपनी कृपा करें और हर कठिनाई से बचाएं।
यह जानना महत्वपूर्ण है कि सनातन धर्म में गाय को माँ लक्ष्मी और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इस दिन गोवंश की पूजा का विशेष महत्व है। भगवान श्री कृष्ण ने अपना बचपन ग्वाला बनकर गायों के साथ बिताया। इसी परंपरा को निभाते हुए गोवर्धन के दिन गौ पूजा की जाती है। भीलवाड़ा में गोवर्धन पूजा का उत्साह अद्वितीय है। मंदिरों में अन्नकूट प्रसाद बांटा जा रहा है और घरों में भी इसे बनाया जा रहा है। अन्नकूट महाभोग में मौसमी हरी सब्जियों का समावेश होता है। इसे बाजरे की खिचड़ी और कढ़ी-पूरी के साथ भगवान को भोग लगाया जाता है। यह भोग स्वास्थ्य की दृष्टि से भी लाभदायक है, क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है जो बदलते मौसम में संक्रमण से बचाती है।