क्या शहीद दिवस पर पीएम मोदी ने असम आंदोलन के वीरों को श्रद्धांजलि दी?
सारांश
Key Takeaways
- असम आंदोलन की महत्वता का स्मरण।
- शहीदों के बलिदान को न भूलना।
- पीएम मोदी का संदेश असम की संस्कृति की सुरक्षा के लिए।
- मुख्यमंत्री हिमंता का समर्थन।
- शहीद दिवस का आयोजन हर वर्ष।
नई दिल्ली, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को शहीद दिवस के अवसर पर 1979-1985 के बीच चले ऐतिहासिक असम आंदोलन में शहादत देने वाले 860 से अधिक बलिदानियों को याद किया और उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए असम आंदोलन को देश के इतिहास में हमेशा एक विशेष स्थान देने की बात कही और शहीदों के सपनों को पूरा करने की प्रतिबद्धता दोहराई।
उन्होंने लिखा, "आज, शहीद दिवस पर, हम असम आंदोलन का हिस्सा रहे सभी लोगों की बहादुरी को याद करते हैं। यह आंदोलन हमारे इतिहास में हमेशा एक विशेष जगह रखेगा। हम असम आंदोलन में हिस्सा लेने वालों के सपनों को पूरा करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं, विशेषकर असम की संस्कृति को मजबूत करने और राज्य की चौतरफा प्रगति के लिए।"
प्रधानमंत्री के इस पोस्ट को असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने तुरंत री-पोस्ट करते हुए लिखा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिल्कुल सही कहा कि असम आंदोलन के वीर शहीदों की विरासत हमारे लिए मार्गदर्शक बनी हुई है। आपके मार्गदर्शन में, हम असम के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जैसा कि उन्होंने सोचा था।"
इससे पहले मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने भी शहीद दिवस पर अलग पोस्ट कर श्रद्धांजलि दी थी। उन्होंने लिखा, "शहीद दिवस पर, मैं खरगेश्वर तालुकदार और असम आंदोलन के 850 से अधिक बहादुरों को श्रद्धांजलि देता हूं, जिन्होंने आई असोमी (मां असम) के लिए अपनी जान दे दी। मातृभूमि के लिए उनका प्यार हमेशा हमारे लिए प्रेरणा रहेगा और आज हम उनके सर्वोच्च बलिदान को याद करते हैं।"
हर साल 10 दिसंबर को असम में 'शहीद दिवस' के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन 1980 में असम आंदोलन के दौरान पहले शहीद खरगेश्वर तालुकदार गोली का शिकार हुए थे। अखिल असम छात्र संघ (आसू) के नेतृत्व में चला यह छह साल लंबा आंदोलन अवैध बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ था। आंदोलन के दौरान कुल 860 लोग शहीद हुए थे, जिनमें अधिकांश युवा और छात्र थे।