क्या है महादेव का ऐसा ज्योतिर्लिंग, जो रामायण काल से जुड़ा है और भक्तों को पापों से मुक्ति दिलाता है?

सारांश
Key Takeaways
- भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का महत्व धार्मिक और पौराणिक है।
- यह मंदिर भक्तों को पापों से मुक्ति दिलाने में सहायक है।
- भीमा नदी का निर्माण भगवान शिव के पसीने से हुआ।
- गुप्त भीम नदी का उद्गम स्थल है।
- मंदिर के पास अन्य तीर्थ स्थान भी हैं।
नई दिल्ली, 9 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंगों में भीमाशंकर का छठा स्थान है। यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे से लगभग 110 किलोमीटर दूर सह्याद्रि पर्वत पर स्थित है। मंदिर में स्थापित शिवलिंग काफी बड़ा और मोटा है, जिसके कारण इस मंदिर को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है।
मंदिर के पास एक नदी बहती है, जिसे भीमा नदी कहा जाता है। मान्यता है कि जब यहां भीमा असुर और भगवान शिव के बीच युद्ध चल रहा था, तब भगवान शिव के शरीर से पसीने की कुछ बूंदें निकलीं और उसी से भीमा नदी का निर्माण हुआ। यह नदी कृष्णा नदी में जाकर मिल जाती है।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी पौराणिक कथा शिव पुराण में वर्णित है। इसमें कुंभकर्ण का पुत्र भीमा भगवान राम से अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए तपस्या करता है और ब्रह्मा से अजेय होने का वरदान प्राप्त करता है। उसके अत्याचारों से त्रस्त होकर देवता और ऋषि महादेव की शरण में जाते हैं। इसके बाद भगवान शिव और भीमा के बीच भयंकर युद्ध होता है, जिसमें भगवान शिव अंततः भीमा का वध कर देते हैं और यहां ज्योतिर्लिंग स्वरूप में विद्यमान हो जाते हैं।
मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से सभी पापों का नाश हो जाता है और भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। शिव पुराण में कहा गया है कि भीमाशंकर मंदिर में पूजा करने से भक्त अपने पापों और बुरे कर्मों से मुक्त हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यहां गुप्त भीम भी है, जो भीमा नदी का उद्गम स्थल है। भीमाशंकर मंदिर से 3 किमी दक्षिण पश्चिम में स्थित, गुप्त भीम वह स्थान है, जहां भीमा नदी एक शिला पर रखे गए लिंग के ऊपर तीव्र बल से बहती है।
भीमाशंकर के आसपास 108 तीर्थ स्थान हैं, जिनमें प्रमुख तीर्थ स्थान सर्वतीर्थ, ज्ञानतीर्थ, मोक्ष तीर्थ, पापमोचन तीर्थ, क्रीड़ा तीर्थ, भीमा उद्गम तीर्थ, भाषा तीर्थ, आदि हैं।
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्त्रोत में इस मंदिर की महिमा का उल्लेख है...
यं डाकिनिशाकिनिकासमाजे निषेव्यमाणं पिशिताशनैश्च। सदैव भीमादिपदप्रसिद्दं तं शङ्करं भक्तहितं नमामि ॥
जो डाकिनी और शाकिनी वृन्द में प्रेतों द्वारा सदैव सेवित होते हैं, उन भक्तहितकारी भगवान भीमाशंकर को मैं प्रणाम करता हूं।
भीमाशंकर मंदिर के पास कमलजा मंदिर भी है, जिसे भारत में बहुत प्रसिद्ध माना जाता है। कमलजा माता को माता पार्वती का अवतार माना जाता है। यहां से कुछ किलोमीटर की दूरी पर हनुमान झील है, जहां आप एक शांत दिन बिता सकते हैं।
पार्वती हिल्स भी यहां के पास है, जिसकी छटा बेहद मनोरम है। साथ ही, मंदिर के पश्चिमी भाग में स्थित तालाब मंदिर के पीछे की ओर है। ऋषि कौशिक ने अपने गुरु का पिंडदान इसी पवित्र स्थल पर किया था। ऐसा माना जाता है कि इस तालाब में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसे मोक्ष कुंड तीर्थ कहा जाता है। भीमाशंकर मंदिर के दक्षिण की ओर स्थित सर्वतीर्थ तालाब सीधे भगवान के मंदिर से जुड़ा हुआ है और यहीं से भीमा नदी निकलती है।
गुप्त भीम मार्ग पर स्थित गणपति मंदिर है। मान्यता है कि श्री भीमाशंकर के दर्शन के बाद गणेश जी के दर्शन भी करने चाहिए। इन गणपति के दर्शन के बाद ही भीमाशंकर यात्रा पूरी मानी जाती है। यह मंदिर भीमाशंकर से लगभग 1.30 किलोमीटर दूर है।