क्या बिहार में 7.89 करोड़ मतदाताओं की सूची का पुनरीक्षण शुरू हो गया है?

Click to start listening
क्या बिहार में 7.89 करोड़ मतदाताओं की सूची का पुनरीक्षण शुरू हो गया है?

सारांश

बिहार में 7.89 करोड़ मतदाताओं की विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी योग्य नागरिक मतदाता सूची में शामिल हों और कोई भी नाम छूट न जाए। जानें इस अभियान के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी और उसके चरण।

Key Takeaways

  • 7.89 करोड़ मतदाताओं की सूची का पुनरीक्षण चल रहा है।
  • मतदाता फॉर्मों का वितरण लगभग 97.42% हो चुका है।
  • बीएलओ घर-घर जाकर मतदाता फॉर्म इकट्ठा कर रहे हैं।
  • 25 जुलाई तक फॉर्म जमा करने वाले मतदाता 1 अगस्त को सूची में शामिल होंगे।
  • अंतिम तिथि 1 सितंबर है।

पटना, 8 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण के तहत एक व्यापक अभियान चलाया जा रहा है, जिसकी निगरानी भारत निर्वाचन आयोग द्वारा की जा रही है। 24 जून को जारी आदेश के अनुसार, यह अभियान 7.89 करोड़ से अधिक पंजीकृत मतदाताओं को कवर कर रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य का हर योग्य नागरिक मतदाता सूची में शामिल हो और कोई भी नाम छूट न जाए।

निर्वाचन आयोग ने पहले से भरे गए गणना प्रपत्र, जिनमें नाम, पता और पुरानी फोटो जैसे विवरण शामिल हैं, प्रत्येक पंजीकृत मतदाता तक पहुंचाने की व्यवस्था की है। अब तक 7.69 करोड़ मतदाताओं (लगभग 97.42 प्रतिशत) को फॉर्म वितरित किए जा चुके हैं।

बीएलओ घर-घर जाकर इन फॉर्मों को इकट्ठा कर रहे हैं और हर घर में कम से कम तीन बार जाकर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कोई मतदाता छूट न जाए। पहला दौरा पूरा हो चुका है, जबकि दूसरा दौरा जारी है। इस दौरान कई मतदाता मृत, स्थानांतरित या प्रवासी भी पाए गए हैं।

जिन व्यक्तियों ने 25 जुलाई तक अपने गणना फॉर्म जमा किए हैं, उनके नाम 1 अगस्त को प्रकाशित होने वाली प्रारूप मतदाता सूची में शामिल किए जाएंगे। सीईओ, डीईओ, ईआरओ और बीएलओ यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि वृद्ध, बीमार, दिव्यांग और गरीब जैसे कमजोर वर्गों के मतदाताओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो। इसके लिए वालंटियरों की भी सहायता ली जा रही है।

मतदाता सूची में नाम जोड़ने, हटाने या सुधार के लिए दावे और आपत्ति दर्ज कराने की अंतिम तिथि 1 सितंबर है। इस दौरान पात्रता के दस्तावेज भी अलग से प्रस्तुत किए जा सकते हैं।

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 16 और 19 तथा संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार, कोई भी भारतीय नागरिक जो अर्हता तिथि को 18 वर्ष या उससे अधिक आयु का है, सामान्यतः उस क्षेत्र का निवासी है और किसी कानून के तहत अयोग्य नहीं ठहराया गया है, मतदाता सूची में शामिल होने का पात्र है।

कोई भी नाम सूची से हटाने का निर्णय केवल जांच के बाद ही लिया जाएगा और इसके लिए ईआरओ को स्पष्ट, लिखित आदेश देना होगा। यदि किसी व्यक्ति की पात्रता पर संदेह होता है, तो उसे नोटिस देकर उसका पक्ष सुना जाएगा। इसके बाद ही किसी प्रकार की अपवर्जन कार्रवाई होगी।

यदि कोई मतदाता ईआरओ के फैसले से असंतुष्ट है, तो वह पहले जिला मजिस्ट्रेट के पास अपील कर सकता है। यदि वहां भी राहत न मिले, तो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 24 के तहत राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास दूसरी अपील की जा सकती है।

इस विशेष पुनरीक्षण अभियान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बिहार में प्रत्येक योग्य मतदाता की भागीदारी लोकतंत्र में सुनिश्चित की जा सके।

Point of View

यह महत्वपूर्ण है कि हम बिहार के मतदाता पुनरीक्षण अभियान की गंभीरता को समझें। यह न केवल राज्य के लोकतंत्र को सशक्त बनाता है, बल्कि हर नागरिक को अपनी आवाज उठाने का एक मौका भी देता है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी योग्य मतदाता इस प्रक्रिया में शामिल हों और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में सक्रिय भागीदारी करें।
NationPress
05/09/2025

Frequently Asked Questions

मतदाता सूची में नाम जोड़ने की प्रक्रिया क्या है?
मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए आपको 25 जुलाई तक अपना गणना फॉर्म जमा करना होगा।
कौन से वर्ग के मतदाता इस प्रक्रिया में प्राथमिकता प्राप्त करेंगे?
वृद्ध, बीमार, दिव्यांग और गरीब मतदाता इस प्रक्रिया में प्राथमिकता प्राप्त करेंगे।
यदि मैं ईआरओ के निर्णय से असंतुष्ट हूँ तो क्या कर सकता हूँ?
आप पहले जिला मजिस्ट्रेट के पास अपील कर सकते हैं और फिर भी राहत न मिलने पर मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास दूसरी अपील कर सकते हैं।
क्या कोई नाम सूची से हटाने का निर्णय केवल जांच के बाद लिया जाएगा?
हाँ, किसी भी नाम को हटाने का निर्णय केवल जांच के बाद ही लिया जाएगा।
मतदाता सूची में संशोधन के लिए अंतिम तिथि क्या है?
मतदाता सूची में संशोधन की अंतिम तिथि 1 सितंबर है।