क्या बिहार विधानसभा मानसून सत्र के अंतिम दिन हंगामे का कोई अंत नहीं?

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क्या बिहार विधानसभा मानसून सत्र के अंतिम दिन हंगामे का कोई अंत नहीं?

सारांश

बिहार विधानसभा के मानसून सत्र का अंत हंगामे के साथ हुआ। विपक्षी दलों ने काले कपड़े पहनकर प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पर कटाक्ष किया। जानिए इस सत्र में हुई घटनाओं की पूरी कहानी और इसके पीछे की राजनीति।

Key Takeaways

  • विपक्ष का प्रदर्शन मतदाता सूची में अनियमितताओं के खिलाफ था।
  • सीएम नीतीश कुमार ने विपक्ष के विरोध पर कटाक्ष किया।
  • सदन की कार्यवाही हंगामे के कारण प्रभावित हुई।
  • सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया गया है।
  • चुनाव आयोग ने अपने कार्यों का बचाव किया।

पटना, 25 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को फिर से हंगामा देखा गया। विपक्षी दलों (आरजेडी, कांग्रेस और वामपंथी) के विधायकों ने सदन में आकर नारेबाजी की और प्रश्नकाल के दौरान मेजें गिराने की कोशिश की।

विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने बार-बार शांति बनाए रखने की अपील की, लेकिन नारेबाजी और हंगामा जारी रहा, जिसके कारण उन्हें कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।

विपक्षी विधायक, जो राज्य में विशेष मतदाता सूची संशोधन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, लगातार पांचवे दिन काले कपड़े पहनकर विधानसभा पहुंचे। विपक्ष का यह विरोध मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं पर चर्चा की मांग को लेकर था।

हंगामे के दौरान सदन में मौजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्ष की विरोध पोशाक पर कटाक्ष किया।

सीएम नीतीश ने कहा कि सब एक जैसे कपड़े पहने हुए हैं। एक बात तो साफ हो गई है, पहले एक-दो दिन हंगामा होता था, बाकी दिन काम चलता रहता था। अब तो सब रोज यही काम कर रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा कि लोग जानते हैं कि सरकार ने कितना काम किया है और हर जगह लोगों को लाभ मिल रहा है।

पांच दिवसीय मानसून सत्र में विपक्ष ने मतदाता सूची संशोधन को लेकर लगातार हंगामा किया, जिससे विधायी कामकाज प्रभावित हुआ।

विपक्ष का आरोप है कि सरकार और चुनाव आयोग मिलकर विधानसभा चुनाव से पहले गरीबों के नाम मतदाता सूची से हटा रहे हैं। सरकार ने इस आरोप को खारिज किया है।

सत्र शुरू होने से ही विपक्ष दोनों सदन के अंदर और बाहर हंगामा कर रहा है, और मतदाता सूची संशोधन पर बहस की मांग कर रहा है।

यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है, जहां विपक्ष ने चुनाव आयोग की प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगाया है।

चुनाव आयोग ने विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) का बचाव करते हुए कहा है कि यह मतदाता सूची से 'अयोग्य व्यक्तियों' को हटाकर चुनाव की शुद्धता बढ़ाता है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के अंत में हंगामा केवल राजनीतिक नाटक है। विपक्ष की मांगें उचित हो सकती हैं, लेकिन सदन की कार्यवाही को बाधित करना लोकतंत्र के लिए सही नहीं है। सरकार ने विकास कार्य किए हैं, और ऐसे प्रदर्शन से जनता का ध्यान भटकता है।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

बिहार विधानसभा में हंगामा क्यों हुआ?
विपक्षी दलों ने मतदाता सूची में अनियमितताओं के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए हंगामा किया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का क्या कहना था?
सीएम नीतीश ने विपक्ष की विरोध पोशाक पर कटाक्ष किया और कहा कि पहले की तुलना में अब हंगामा निरंतर हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में मामला क्यों गया?
विपक्ष ने चुनाव आयोग की प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए मामला सुप्रीम कोर्ट में दायर किया है।