क्या कांग्रेस बिहार में अपनी खोई जमीन फिर से पाएगी? 'राम' और 'कृष्ण' की जोड़ी की ताकत का क्या असर होगा?

सारांश
Key Takeaways
- कांग्रेस ने अपनी खोई हुई ज़मीन को पुनः पाने के लिए नई रणनीतियाँ बनाई हैं।
- राजेश कुमार राम और कृष्णा अल्लावारू की जोड़ी पर कांग्रेस का विश्वास।
- राहुल गांधी का बिहार में लगातार दौरा और दलित वोटर्स पर ध्यान।
- माई-बहिन सम्मान योजना जैसे मुद्दों पर मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश।
- कांग्रेस का चुनावी मैदान में उतरने का नया दृष्टिकोण।
पटना, 3 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक पार्टियाँ अपनी-अपनी योजनाएँ बनाने में जुट गई हैं और मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिशें तेज हो गई हैं। इस संदर्भ में, कांग्रेस ने भी अपनी पूरी शक्ति झोंक दी है।
कांग्रेस इस चुनाव के माध्यम से अपनी खोई हुई ज़मीन को फिर से पाने के लिए तैयार है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार राम और बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावारू ने अपनी पूरी ताकत लगाई है। कांग्रेस के आलाकमान ने भी इस 'राम' और 'कृष्ण' की जोड़ी पर विश्वास दर्शाया है। आज़ादी के बाद से कांग्रेस का बिहार में एकछत्र शासन रहा है, लेकिन सोशल इंजीनियरिंग, जातीय राजनीति और क्षेत्रीय दलों के उभार ने कांग्रेस को पीछे धकेल दिया है और उसकी ज़मीन छीन ली।
पिछले विधानसभा चुनाव में, कांग्रेस ने राजद के साथ मिलकर 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें उसे 19 सीटों पर जीत मिली थी। 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 9.48 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं, 2015 के चुनाव में कांग्रेस ने 41 सीटों पर चुनाव लड़ा और 27 सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन उस बार उसे केवल 6.66 प्रतिशत वोट मिले थे।
वर्ष 1990 के बाद से, बिहार में कांग्रेस ने गठबंधन के माध्यम से राज्य की सत्ता में भागीदारी की है, लेकिन उसकी खुद की स्थिति कमजोर होती गई है। इस बार कांग्रेस अपनी पूरी ताकत झोंकने की योजना बना रही है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी भी इस वर्ष लगातार बिहार का दौरा कर रहे हैं। राहुल गांधी पहले ही पांच बार बिहार आ चुके हैं और उन्होंने यह संदेश दिया है कि उनकी कैंपेनिंग आक्रामक होगी और दलित वोटर्स पर ध्यान केंद्रित करेगी।
इसके अतिरिक्त, कांग्रेस इस चुनाव में वोटर्स की छटनी को एक मुद्दा बनाएगी। कांग्रेस ने यह भी स्पष्ट किया है कि राहुल राजद नेता तेजस्वी यादव के साथ प्रचार अभियान में शामिल होंगे। कांग्रेस माई-बहिन सम्मान योजना और अन्य वादों के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी, तथा नीतीश कुमार की सेहत, आरक्षण और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर मतदाताओं को आकर्षित करने का प्रयास करेगी।
कुल मिलाकर, कांग्रेस इस चुनाव में एक नई रणनीति के साथ उतरने की तैयारी में है और अपनी पूरी कोशिश करेगी। अब यह देखना होगा कि कांग्रेस कितनी सफल हो पाती है।