क्या लालू यादव के समय का डर और जंगलराज बिहार की जनता ने महसूस किया?
सारांश
Key Takeaways
- राजीव प्रताप रूडी ने प्रशांत किशोर की आईडी को लेकर सवाल उठाया।
- लालू यादव के जंगलराज का असर आज भी बिहार पर है।
- राजद के घोषणा पत्र में नौकरियों के रेट का उल्लेख होना चाहिए।
- प्रशांत किशोर को चुनावी मैदान में होना चाहिए था।
- बिहार की जनता को बड़ा नेता चाहिए जो चुनाव लड़े।
पटना, 28 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार चुनावों के बीच भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी ने राजद और जन सुराज पार्टी पर खुलकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर को यह स्पष्ट करना होगा कि उनके पास दो आईडी कार्ड कहां से आए। दरअसल, उनके पास पहले से ही दो आईडी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एक व्यक्ति का दो आईडी रखना एक अपराध है और इस पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
भाजपा सांसद ने राजद के घोषणा पत्र के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि उनके घोषणापत्र में क्या शामिल होगा। अगर वे नौकरी देने का वादा करते हैं, तो उन्हें यह भी बताना चाहिए कि नौकरी के लिए रेट क्या होगा, ताकि लोगों को थोड़ी उम्मीद हो सके।
उन्होंने यह भी कहा कि लालू प्रसाद यादव के जमाने का जंगलराज बिहार की जनता ने भोगा है। यही कारण है कि आज बिहार के लोग उनके भय और जंगलराज के खिलाफ हैं। तेजस्वी यादव अपनी पहचान नहीं बना सके, इसलिए यह चुनाव लालू यादव के खिलाफ है। उन्होंने बताया कि छपरा में 30 अक्टूबर को प्रधानमंत्री का कार्यक्रम है और पटना व अन्य शहरों में भी उनके कार्यक्रम आयोजित होंगे।
इससे पहले, राजीव प्रताप रूडी ने प्रशांत किशोर द्वारा जन सुराज के प्रत्याशियों को तोड़ने के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि प्रशांत किशोर को बिहार को समझने के लिए एक चुनाव लड़ना चाहिए। उन्होंने उनके चुनाव न लड़ने के निर्णय पर चिंता जताते हुए कहा कि यह एक चिंताजनक स्थिति है।
सारण के सांसद ने पटना में मीडिया से बातचीत में प्रशांत किशोर को एक अच्छा दोस्त बताते हुए कहा कि यह देखना दुखद है कि वे चुनाव नहीं लड़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि बिहार में ही नहीं, बल्कि दिल्ली और मुंबई में भी लोग कहते थे कि एक बड़ा नेता उभरकर आ रहा है। ऐसे में उनका चुनावी मैदान से बाहर रहना चिंता का विषय है। बिहार को समझने के लिए उन्हें कम से कम एक बार चुनाव लड़ना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि यह वास्तव में दुःखद है कि इतने बड़े पार्टी का जनरल खुद को चुनाव में नहीं उतार रहा। यह बिहार की जनता के लिए भी निराशा की बात है कि एक बड़ा नेता चुनाव नहीं लड़ता है।