क्या बिहार चुनाव के पहले चरण में पुनर्मतदान की सिफारिश नहीं की गई?
सारांश
Key Takeaways
- बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में पुनर्मतदान की आवश्यकता नहीं पाई गई।
- मतदान केंद्रों पर पारदर्शिता सुनिश्चित की गई।
- बिहार चुनाव में 64.66 प्रतिशत मतदान हुआ।
- चुनाव आयोग ने सभी प्रक्रियाओं की वीडियोग्राफी की।
- मुख्य चुनाव आयुक्त ने मतदाताओं को बधाई दी।
नई दिल्ली, 7 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) ने शुक्रवार को यह स्पष्ट किया है कि बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में पुनर्मतदान की कोई सिफारिश नहीं की गई है।
चुनाव आयोग ने एक प्रेस नोट में बताया कि पहले चरण में मतदान किए गए सभी 121 विधानसभा क्षेत्रों में फॉर्म 17ए (मतदाता रजिस्टर) और मतदान दिवस के अन्य सभी दस्तावेजों का गहन निरीक्षण किया गया।
यह प्रक्रिया पारदर्शिता को सुनिश्चित करने और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी का पता लगाने के उद्देश्य से आयोग द्वारा नियुक्त 121 रिटर्निंग अधिकारियों और सामान्य पर्यवेक्षकों की उपस्थिति में संपन्न हुई।
लगभग 455 उम्मीदवारों और उनके एजेंटों ने इस निरीक्षण प्रक्रिया में हिस्सा लिया।
चुनाव आयोग ने पहले ही चुनाव के बाद सत्यापन के लिए विस्तृत निर्देश जारी किए थे, जिससे उनकी निष्पक्षता और पारदर्शिता के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि होती है।
प्रेस नोट में उल्लेख किया गया है कि जांच के परिणामस्वरूप किसी भी मतदान केंद्र पर कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई और इसलिए पुनर्मतदान की सिफारिश नहीं की गई।
आधिकारिक रिकॉर्ड और पारदर्शिता के लिए पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की गई थी। जांच के बाद सभी फॉर्म 17ए और संबंधित चुनाव सामग्री को रिटर्निंग ऑफिसर की आधिकारिक मुहर लगाकर दोबारा बंद कर दिया गया।
बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में आयोजित किए जा रहे हैं; पहले चरण का मतदान गुरुवार को संपन्न हुआ, जिसमें 64.66 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने 1951 के बाद से बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में ऐतिहासिक मतदान के लिए मतदाताओं को बधाई दी। उन्होंने मतदाताओं को धन्यवाद दिया कि वे इतनी बड़ी संख्या में उत्साह के साथ मतदान करने आए।