बिहार मदरसा शिक्षा बोर्ड के सौ वर्ष पूरे? सीएम की नई घोषणाएं न होने से मुस्लिम समुदाय हैरान

सारांश
Key Takeaways
- बिहार मदरसा शिक्षा बोर्ड की स्थापना 1920 में हुई थी।
- इसकी शताब्दी समारोह में 15,000 से अधिक लोग शामिल हुए।
- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोई नई घोषणाएं नहीं की।
- मुस्लिम समुदाय ने निराशा व्यक्त की है।
- बोर्ड का पुनर्गठन 1981 में किया गया था।
पटना, 21 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। पटना के बापू सभागार में बिहार मदरसा शिक्षा बोर्ड के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया। इस विशेष कार्यक्रम में राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और कई अन्य मंत्रियों ने भाग लिया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उपस्थित लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि हम लगातार मुसलमान भाइयों के उत्थान के लिए कार्यरत हैं और भविष्य में भी ऐसा करते रहेंगे।
महत्वपूर्ण समारोह में नीतीश कुमार ने कहा कि यह गर्व का क्षण है कि बिहार मदरसा बोर्ड ने एक शताब्दी पूरी कर ली है। उन्होंने सभी को बधाई दी और मदरसा शिक्षा बोर्ड की स्मारिका का उद्घाटन किया।
इस बीच, कार्यक्रम में उपस्थित मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने बताया कि नीतीश कुमार ने उन्हें निराश किया है। उन्होंने सोचा था कि मुख्यमंत्री कुछ नई घोषणाएं करेंगे, लेकिन वह पुरानी बातें ही दोहराते रहे। इसका जवाब हम आगामी चुनाव में देंगे।
सैय्यद मोहिब्बुल हक ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार ने बहुत निराश किया है। वह अतीत की बातें कर रहे हैं। धोखेबाजी की सरकार नहीं चलेगी।
एक अन्य स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि मदरसे के शिक्षकों को कोई विशेष लाभ नहीं मिला है। हम उनसे निवेदन करेंगे कि मदरसे के शिक्षकों को स्कूल जैसे इंक्रीमेंट और चिकित्सा सुविधाएं मिलनी चाहिए।
स्थानीय निवासी मोहम्मद मुनव्वर हुसैन ने कहा कि जिस उम्मीद से हम आए थे, वह पूरी नहीं हुई। सभी को उम्मीद थी कि उन्हें वेतन वृद्धि या चिकित्सा सुविधा के बारे में आश्वासन मिलेगा। लेकिन ऐसा न होने से निराशा हुई।
ज्ञात हो कि बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड की स्थापना 1920 में हुई थी और यह 1980 तक कार्यरत रहा, इसके बाद 1981 के मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम के तहत इसे फिर से स्थापित किया गया। इस शताब्दी समारोह में मदरसे से जुड़े 15,000 से अधिक लोग शामिल हुए थे।