क्या बिहार में मतदाता सूची से मतदाताओं को हटाने की साजिश हो रही है? पप्पू यादव का आरोप

सारांश
Key Takeaways
- मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर विवाद बढ़ा है।
- पप्पू यादव ने बीएलओ के खिलाफ कदम उठाने का ऐलान किया।
- यह प्रक्रिया गरीबों और दलितों के खिलाफ हो सकती है।
- लोकतंत्र की रक्षा के लिए जनता को जागरूक होना चाहिए।
दिल्ली, 3 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव से पूर्व मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। चुनाव आयोग के इस कदम पर विपक्षी नेता सवाल उठा रहे हैं। इसी संदर्भ में पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र के सांसद पप्पू यादव ने मतदाता सत्यापन पर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को जमकर आलोचना की और इसे एक साजिश बताया।
उन्होंने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत में दावा किया कि बिहार में लगभग 8 करोड़ मतदाताओं में से करीब पौने 5 करोड़ मतदाताओं को वोटर लिस्ट से हटाने की योजना है। इसे उन्होंने गरीबों, दलितों और वंचित वर्गों के खिलाफ एक साजिश बताया। उन्होंने कहा कि यह जाति का मामला नहीं, बल्कि बिहारियों और गरीबों पर हमले का मामला है। इनका व्यवहार बिहार के प्रति दुश्मनी का प्रतीक है।
उन्होंने मतदाता सत्यापन प्रक्रिया में तैनात बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) के खिलाफ कार्रवाई की भी बात की। उन्होंने कहा कि बीएलओ को गांवों में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा। हमने गांव-गांव जाकर यह संदेश दिया है कि बीएलओ को कोई दस्तावेज न दें। अगर जरूरत पड़ी, तो गांव से भगा दो। यह लोकतंत्र की हत्या करने की योजना है।
पप्पू यादव ने केंद्र सरकार पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि वर्तमान शासन संविधान का सम्मान नहीं कर रहा है और भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को नष्ट करने पर आमादा है। उन्होंने कहा कि हमें स्वतंत्रता सेनानियों के जज्बे की आवश्यकता है।
पप्पू यादव ने कहा कि यह आजादी की दूसरी लड़ाई है। हमें जनहित के लिए लड़ाई लड़नी होगी। उन्होंने हाल ही में हुए महाराष्ट्र और दिल्ली चुनावों पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि वहां फर्जी तरीके से मतदाता जोड़े गए और शाम 6 बजे के बाद भारी मात्रा में वोट डाले गए, जिससे चुनावी प्रक्रिया पर संदेह पैदा होता है।