क्या विपक्षी दलों ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर आपत्ति जताई?

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क्या विपक्षी दलों ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर आपत्ति जताई?

सारांश

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर विपक्षी दलों की आपत्ति के बारे में जानें। क्या यह चुनाव आयोग की ओर से एक सुनियोजित बेदखली है? जानिए इस मुद्दे के पीछे की सच्चाई और इसके संभावित प्रभाव।

Key Takeaways

  • बिहार में मतदाता सूची का पुनरीक्षण विवादास्पद साबित हो रहा है।
  • विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
  • समय की कमी से गरीब मतदाताओं को समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

नई दिल्ली, 2 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस सहित इंडिया ब्लॉक के दलों ने बिहार में चुनाव से ठीक पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के निर्णय पर सख्त आपत्ति व्यक्त की है। इन दलों ने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग के इशारे पर बिहार के करोड़ों लोगों को वोट डालने से बेदखल करने की योजना बनाई जा रही है।

कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी, सीपीआई, समेत 11 विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की और कहा कि मतदाता सत्यापन के लिए मांगे गए 11 दस्तावेज अधिकांश लोगों के पास नहीं हैं। इससे लाखों लोग मतदाता सूची से बाहर हो जाएंगे। इस निर्णय से बिहार के गरीब और दूसरे राज्यों में काम करने वाले लोगों का वोट डालने का अधिकार संकट में है।

पत्रकारों से बातचीत में कांग्रेस नेता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग के साथ बैठक में बताया कि बिहार में 2003 में विशेष गहन पुनरीक्षण हुआ था, तब अगले लोकसभा चुनाव एक साल बाद और विधानसभा चुनाव दो साल बाद होने थे। लेकिन इस बार केवल कुछ महीनों का ही समय है। ऐसे में 2003 के बाद 22 साल में बिहार में हुए सभी चुनाव क्या गलत या अवैध थे?"

सिंघवी ने आगे कहा, "अगर बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण करना था, तो इसकी घोषणा चुनाव से ठीक पहले जून में क्यों की गई? इसे बिहार के चुनावों के बाद किया जा सकता था।"

सिंघवी ने कहा, "बिहार में लगभग आठ करोड़ मतदाता हैं और इतने कम समय में सभी का सत्यापन करना मुश्किल होगा। पहली बार अलग-अलग दस्तावेज मांगे जा रहे हैं, जिन्हें गरीब और वंचित वर्ग के लोगों के लिए इतने कम समय में जुटाना व्यावहारिक रूप से असंभव होगा। पिछले एक दशक से हर काम के लिए आधार कार्ड मांगा जाता रहा है, लेकिन अब यह कहा जा रहा है कि यदि जन्म प्रमाण पत्र नहीं होगा तो आपको मतदाता नहीं माना जाएगा। एक श्रेणी में उन लोगों के माता-पिता के जन्म का भी दस्तावेज होना चाहिए, जिनका जन्म समय 1987-2012 के बीच हुआ होगा। प्रदेश में लाखों-करोड़ गरीब लोग होंगे, जिन्हें इन कागजात को जुटाने के लिए महीनों की भागदौड़ करनी होगी। ऐसे में कई लोगों का नाम ही सूची में शामिल नहीं होगा।

Point of View

यह स्पष्ट है कि हर चुनाव में पारदर्शिता और निष्पक्षता आवश्यक है। बिहार की स्थिति चिंताजनक है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि मतदाता अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकें।
NationPress
05/09/2025

Frequently Asked Questions

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का कारण क्या है?
मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का उद्देश्य सही और अद्यतन जानकारी सुनिश्चित करना है। लेकिन इसके समय और प्रक्रिया पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
क्या यह पुनरीक्षण गरीबों के लिए मुश्किल बनाता है?
हाँ, दस्तावेजों की मांग और समय की कमी के कारण गरीब और वंचित वर्ग के लोगों के लिए मतदाता सूची में शामिल होना मुश्किल हो सकता है।
विपक्षी दलों ने इस पर क्या प्रतिक्रिया दी है?
विपक्षी दलों ने इसे चुनाव आयोग की ओर से पूर्व निर्धारित योजना का हिस्सा बताया है, जिससे करोड़ों लोग बेदखल हो सकते हैं।