बिहार एसआईआर पर चुनाव आयोग ने क्यों कहा कि विपक्ष की ओर से कोई आपत्ति नहीं मिली?

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बिहार एसआईआर पर चुनाव आयोग ने क्यों कहा कि विपक्ष की ओर से कोई आपत्ति नहीं मिली?

सारांश

क्या बिहार में विपक्ष की 'वोटर अधिकार यात्रा' के बीच चुनाव आयोग ने कोई नई जानकारी साझा की? जानिए इस महत्वपूर्ण बुलेटिन में क्या कहा गया है।

Key Takeaways

  • 1 अगस्त से 18 अगस्त तक कोई आपत्ति नहीं मिली।
  • चुनाव आयोग ने 45,616 आवेदन प्राप्त किए।
  • नए मतदाताओं के लिए 1,52,651 फॉर्म 6 प्राप्त हुए।
  • बिहार में कुल 1,60,813 बूथ लेवल एजेंट्स हैं।
  • दावों का निपटारा 7 दिनों से पहले नहीं किया जा सकता।

नई दिल्ली, 18 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में विपक्ष की 'वोटर अधिकार यात्रा' के दौरान भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने सोमवार को विशेष गहन पुनरिक्षण (एसआईआर) के संबंध में एक डेली बुलेटिन जारी किया है। इस बुलेटिन में कहा गया है कि 1 अगस्त से 18 अगस्त के बीच किसी भी राजनीतिक दल द्वारा कोई आपत्ति नहीं उठाई गई है।

ईसीआई के अनुसार, बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत 1 अगस्त को जारी प्रारूप मतदाता सूची पर 18 दिनों (1 अगस्त दोपहर 3 बजे से 18 अगस्त दोपहर 3 बजे तक) में किसी भी राजनीतिक दल की ओर से कोई दावा या आपत्ति दर्ज नहीं की गई है। दावे और आपत्तियां दाखिल करने की समय सीमा में अब केवल 14 दिन शेष हैं।

चुनाव आयोग ने बताया कि पिछले 18 दिनों में योग्य मतदाताओं को शामिल करने और अपात्र मतदाताओं को हटाने के लिए 45,616 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 1,348 का निपटान सात दिन बाद किया गया है।

इसके अलावा, 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के नए मतदाताओं से 1,52,651 फॉर्म 6 (घोषणा सहित) प्राप्त हुए हैं, जिनमें बीएलए से प्राप्त छह फॉर्म शामिल हैं।

ईसीआई के अनुसार, बिहार में कुल बूथ लेवल एजेंट्स (बीएलए) 1,60,813 हैं। राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त बीएलए ने कोई दावा (फॉर्म 6) या आपत्ति (फॉर्म 7) दाखिल नहीं की है।

चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि नियमों के अनुसार, पात्रता दस्तावेजों की जांच के बाद दावे और आपत्तियों का निपटारा 7 दिनों से पहले नहीं किया जा सकता। विशेष संक्षिप्त संशोधन आदेशों के तहत, 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित मसौदा सूची से किसी भी मतदाता का नाम बिना जांच और उचित सुनवाई के बाद स्पष्ट आदेश के बिना नहीं हटाया जा सकता। हटाए गए मतदाताओं की सूची, जो मसौदा मतदाता सूची (01.08.2025) में शामिल नहीं हैं, संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारियों या जिलाधिकारियों की वेबसाइटों और मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर ईपीआईसी सर्च मोड में उपलब्ध है। प्रभावित व्यक्ति अपने दावों के साथ आधार कार्ड की प्रति जमा कर सकते हैं।

Point of View

यह स्पष्ट है कि चुनाव आयोग की प्रक्रिया में पारदर्शिता महत्वपूर्ण है। बिहार में विपक्ष की 'वोटर अधिकार यात्रा' के बीच आयोग का यह कदम दर्शाता है कि निर्वाचन प्रक्रिया कितनी स्थिर है। हमें उम्मीद है कि सभी राजनीतिक दल इस प्रक्रिया में सहयोग करेंगे।
NationPress
18/08/2025

Frequently Asked Questions

बिहार में चुनाव आयोग द्वारा जारी बुलेटिन में क्या कहा गया?
बुलेटिन के अनुसार, 1 अगस्त से 18 अगस्त के बीच किसी भी राजनीतिक दल द्वारा कोई आपत्ति दर्ज नहीं की गई है।
विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का क्या महत्व है?
यह प्रक्रिया मतदाता सूची की पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।