क्या बिहार के विधायकों और एमएलसी को अब हर महीने 8,300 रुपए का टेलीफोन भत्ता मिलेगा?
सारांश
Key Takeaways
- बिहार के विधायकों को नया टेलीफोन भत्ता मिलेगा।
- हर महीने 8,300 रुपए का भत्ता।
- कोई वाउचर या बिल जमा करने की आवश्यकता नहीं।
- सरकार का आधुनिककरण का प्रयास।
- संबंधित विधेयकों को मंजूरी दी गई है।
पटना, 4 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानमंडल के सदस्यों, विधायकों और विधान परिषद सदस्यों के लिए नई सुविधाएँ लागू की गई हैं। अब से, विधायकों को हर महीने 8,300 रुपए का टेलीफोन भत्ता प्राप्त होगा और उन्हें खर्च की क्षतिपूर्ति के लिए कोई वाउचर या बिल जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी।
राज्य के संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने गुरुवार को सदन में बिहार विधानमंडल सदस्य वेतन, भत्ते और पेंशन (संशोधन) नियम, 2025 की एक कॉपी पेश की और औपचारिक रूप से नई व्यवस्था की शुरुआत की।
इस नियम के अनुसार, विधायक कितने भी फोन कनेक्शन का उपयोग कर सकते हैं, चाहे वह एक हो या दस, सभी खर्च इस तय मासिक राशि के अंतर्गत कवर होंगे। यह कदम सरकार की विधायी कार्यप्रणाली को आधुनिक बनाने के प्रयास का हिस्सा माना जा रहा है।
एक अन्य महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने विधानमंडल द्वारा पारित 11 महत्वपूर्ण बिलों को मंजूरी दी है। यह मंजूरी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि विधायकों और एमएलसी के लिए बढ़ा हुआ टेलीफोन भत्ता पहले ही तीखी राजनीतिक प्रतिक्रियाएं उत्पन्न कर चुका है।
अर्थव्यवस्था की दिशा में बिहार विनियोग (संख्या 3) विधेयक, 2025 जैसे कानूनों को मंजूरी दी गई है, जो राज्य के वित्तीय रोडमैप को स्पष्ट करता है। वहीं, बिहार जीएसटी (संशोधन) विधेयक 2025 का उद्देश्य व्यापार और कराधान संरचना को मजबूती प्रदान करना है।
भूमि विनियमन और प्रशासनिक सुधारों से संबंधित कई महत्वपूर्ण बिलों को भी मंजूरी मिली है, जिनमें बिहार हिंदू धार्मिक न्यास (संशोधन) विधेयक, बिहार विशेष सर्वेक्षण और निपटान (संशोधन) विधेयक, बिहार कृषि भूमि (गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए रूपांतरण) (संशोधन) विधेयक, और बिहार भूमिगत पाइपलाइन (संशोधन) विधेयक शामिल हैं।
इन विधेयकों के कानून बनने के साथ, राज्य सरकार से विभिन्न क्षेत्रों में संरचनात्मक और प्रशासनिक सुधारों को आगे बढ़ाने की अपेक्षा की जा रही है। आज 18वीं बिहार विधानसभा के पहले सत्र का चौथा दिन है। सदन की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू हुई।
उपाध्यक्ष का चुनाव होते ही नरेंद्र नारायण यादव को दूसरी बार उपाध्यक्ष चुना गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उपस्थिति में यह चुनाव निर्विरोध संपन्न हुआ।
उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने उपाध्यक्ष पद के लिए नरेंद्र नारायण यादव का नाम प्रस्तावित किया और विजय कुमार चौधरी ने इसका समर्थन किया। इस पद के लिए सिर्फ एक ही नामांकन दाखिल किया गया था।