क्या भाजपा के लोग महाराष्ट्र की राजनीति में सपा के बढ़ते वर्चस्व से घबरा गए हैं?: अबू आजमी

सारांश
Key Takeaways
- अबू आजमी ने भाजपा के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी।
- उन्होंने सांप्रदायिकता की राजनीति पर सवाल उठाया।
- मुस्लिम समाज के योगदान को याद किया गया।
- राजनीतिक बयानबाजी में परिस्थितियों का महत्व।
- बागेश्वर धाम के मामले में धीरेंद्र शास्त्री पर भी टिप्पणी।
मुंबई, 19 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के अनुभवी नेता अबू आजमी ने शुक्रवार को मुंबई भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अमित साटम के उस बयान पर तीखा हमला किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि किसी विपक्षी दल की सरकार बनी, तो मुंबई का मेयर खान होगा और यहाँ की सभी सड़कों का नाम मोहम्मद अली रोड रखा जाएगा।
अबू आजमी ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि मेरी सबसे प्राथमिक कोशिश है कि मुंबई मेयर की जिम्मेदारी किसी भाजपा को न मिले, क्योंकि ये लोग केवल सांप्रदायिकता की राजनीति में माहिर हैं। उन्होंने हमेशा धर्म को लेकर राजनीति की है। अब ये लोग महाराष्ट्र की राजनीति में समाजवादी पार्टी के बढ़ते वर्चस्व से घबरा गए हैं, इसलिए ऐसी बातें कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि एक हजार वर्षों तक मुस्लिमों का शासन इस देश में रहा, लेकिन कभी भी हिंदू-मुस्लिम के बीच नफरत नहीं देखने को मिली। इतिहास इस बात का गवाह है कि हिंदू-मुस्लिम हमेशा एक साथ रहे। जब-जब आवश्यकता पड़ी, तो मुस्लिम समाज ने देश के अंदर और सरहद पर भी अपना बलिदान दिया। चाहे आजाद हिंद फौज हो या चीन के खिलाफ लड़ाई, मुस्लिम समुदाय के योगदान के कई उदाहरण हैं।
अबू आजमी ने कहा कि इन लोगों को देशभक्ति पर कोई भी बयान देने का हक नहीं है। इन्होंने हमेशा इस देश में हिंदू-मुस्लिम के बीच नफरत फैलाने का काम किया है।
साथ ही, सपा नेता ने अपने उस बयान पर भी स्पष्टीकरण दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि मुंबई का मेयर कोई मुस्लिम बनेगा, तो विकास की गति दोगुनी होगी। उन्होंने कहा कि मेरा कहने का तात्पर्य यह था कि यदि कोई सच्चा मुस्लिम मेयर पद की जिम्मेदारी संभालेगा, तो निश्चित रूप से वो भ्रष्टाचार नहीं करेगा।
अबू आजमी ने राजीव गांधी के उस कथन का भी उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि वे विकास से संबंधित कार्यों के लिए 100 रुपये भेजते हैं, तो आम जनता तक केवल 15 रुपये ही पहुंचते हैं, जबकि शेष 85 रुपये बिचौलिए खा जाते हैं।
अंत में, उन्होंने बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री के उस बयान पर भी प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा था कि देश के सभी धार्मिक स्थलों पर राष्ट्रगान बजना चाहिए।
अबू आजमी ने कहा कि ऐसे लोग केवल मीडिया में चर्चा में रहने के लिए ऐसे बेतुके बयान देते हैं, जिनका कोई अर्थ नहीं है। जब मंदिर में पूजा चल रही हो, तो क्या राष्ट्रगान बजाया जा सकता है? जब मंदिर में पूजा के दौरान राष्ट्रगान नहीं बज सकता, तो मस्जिद में कैसे बजाया जाएगा? ऐसे बेतुके बयान देने वाले लोगों को बोलने के लिए मंच नहीं मिलना चाहिए।