क्या भाजपा के पास कोई उपलब्धि है जो जनता तक पहुंचा सके? : इमरान प्रताप गढ़ी
सारांश
Key Takeaways
- इमरान प्रताप गढ़ी ने भाजपा की रणनीतियों पर सवाल उठाए।
- बिहार के लोगों को भाजपा की उपलब्धियों पर संदेह है।
- कांग्रेस ने राहुल गांधी की अपील के माध्यम से युवाओं को लोकतंत्र की रक्षा के लिए आगे आने का संदेश दिया।
नई दिल्ली, 19 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच कांग्रेस नेता इमरान प्रताप गढ़ी ने शुक्रवार को भाजपा द्वारा घुसपैठियों के मुद्दे पर की गई चर्चा को लेकर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि भाजपा के पास अब कोई वाजिब मुद्दा नहीं रह गया है।
इमरान प्रताप गढ़ी ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा कि भाजपा के नेता जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को उठाने के बारे में चिंतन नहीं कर रहे हैं। वे बस वही पुराना राग अलाप रहे हैं, जिसे अब किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि अब तक हुए सभी चुनावों में भाजपा ने केवल घुसपैठियों का मुद्दा उठाया है। चाहे वह बिहार हो, जहाँ कुछ महीने बाद चुनाव होने हैं, या असम, या दिल्ली, जहां केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का निवास है। इस पर सवाल उठना स्वाभाविक है कि ये लोग बार-बार घुसपैठियों के मुद्दे पर ही क्यों ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जबकि वे उन समस्याओं पर चर्चा नहीं कर रहे हैं, जो सीधे तौर पर जनता से संबंधित हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा कि सच यह है कि भाजपा के पास कुछ कहने के लिए नहीं है। उनके पास कोई मुद्दा या उपलब्धि नहीं है, जिससे वे जनता के पास जा सकें। अब जनता यह सवाल कर रही है कि वे जो वादे किए थे, उनका क्या हुआ।
उन्होंने कहा कि आज बिहार की जनता पूछ रही है कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आरा के मैदान में घोषित पैकेज कहाँ है? बिहार यह भी जानना चाहता है कि विशेष राज्य का दर्जा क्या हुआ? बिहार पूछ रहा है कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के लिए धन क्यों नहीं दिया गया? बिहार को अब जुमलों की आवश्यकता नहीं, बल्कि वादों को पूरा करने की आवश्यकता है।
इमरान प्रताप गढ़ी ने राहुल गांधी की ओर से जेन-जी से लोकतंत्र को बचाने की अपील पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने देश के सभी वर्गों से अपील की है कि वे लोकतंत्र की रक्षा के लिए आगे आएं। यह सही है कि इस देश का भविष्य युवाओं के हाथ में है। युवा हमारे देश का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। यदि किसी भी संवैधानिक संस्था को कोई खतरा होता है, तो उसे बचाने की जिम्मेदारी युवाओं की होगी।