क्या न्यूक्लियर एनर्जी सेक्टर से जुड़ा शांति बिल बहुत ही खतरनाक है?: महुआ माझी
सारांश
Key Takeaways
- महुआ माझी ने शांति बिल को खतरनाक बताया।
- प्राइवेट कंपनियों के शामिल होने से सुरक्षा खतरे हो सकते हैं।
- यूरेनियम और प्लूटोनियम की जरूरतों पर चिंता व्यक्त की गई।
- भोपाल त्रासदी का उदाहरण दिया गया।
- कानून बनने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा में भारत के न्यूक्लियर एनर्जी सेक्टर में सुधार के लिए शांति बिल के पारित होने पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) सांसद महुआ माझी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
महुआ माझी ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "यह एक अत्यंत खतरनाक बिल है, जो अशांति को बढ़ावा देगा। जिस तरह से प्राइवेट कंपनियों को यह सौंपने की योजना है, यदि कोई लापरवाह ऑपरेटर आ जाता है, तो समस्याएं बढ़ सकती हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "न्यूक्लियर रिएक्टर के संचालन के लिए यूरेनियम की आवश्यकता होती है। 1994 में इंदिरा गांधी द्वारा किए गए पहले परमाणु परीक्षण में युरेनियम के ईंधन से निकलने वाले डस्ट से प्लूटोनियम का निर्माण हुआ था। उसी प्लूटोनियम का उपयोग कर उस समय परमाणु बम बनाया गया था।"
माझी ने चेतावनी दी, "यदि निजी कंपनी का ऑपरेटर इस प्लूटोनियम को निकालकर बेच दे, तो यह एक गंभीर खतरा बन सकता है। हमारे पास तो मॉनीटरिंग सिस्टम भी बहुत कमजोर है। भोपाल त्रासदी का उदाहरण सभी ने देखा है कि किस तरह से जिम्मेदारी गलत हाथों में जाने से भयंकर नुकसान हुआ। जापान के हिरोशिमा और Nagasaki में हुए विस्फोट का दंश लोग आज भी झेल रहे हैं।"
झामुमो सांसद ने कहा, "जैसे-जैसे न्यूक्लियर रिएक्टर बढ़ेंगे, यूरेनियम की माइनिंग अधिक होगी, जिससे स्थानीय लोगों को नुकसान होगा। हम ऐसे खतरनाक बिल का समर्थन नहीं करते।"
गौरतलब है कि संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है। परमाणु ऊर्जा से संबंधित 'द सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया बिल 2025', जिसे शांति विधेयक भी कहा जाता है, दोनों सदनों से पास हो चुका है। यह विधेयक बुधवार को लोकसभा से और गुरुवार को राज्यसभा से पास हुआ। अब इसे राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से कानून का रूप दिया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शांति विधेयक के पारित होने पर खुशी जताई है।
--आईएनएस
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