क्या बॉम्बे हाई कोर्ट ने सीबीएफसी को फिल्म 'अजेय' के लिए एनओसी मांगने पर फटकार लगाई?

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क्या बॉम्बे हाई कोर्ट ने सीबीएफसी को फिल्म 'अजेय' के लिए एनओसी मांगने पर फटकार लगाई?

सारांश

बॉम्बे हाई कोर्ट ने सीबीएफसी को फिल्म 'अजेय' के सर्टिफिकेशन के लिए योगी आदित्यनाथ से एनओसी मांगने पर फटकार लगाई। कोर्ट ने स्पष्ट कारण बताए बिना सर्टिफिकेशन प्रक्रिया को रोकने पर असहमति जताई। यह मामला फिल्म उद्योग में महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन गया है।

Key Takeaways

  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने सीबीएफसी को फटकार लगाई।
  • फिल्म 'अजेय' का सर्टिफिकेशन बिना कारण के रोका गया।
  • कोर्ट ने सीबीएफसी से स्पष्टता की मांग की।

मुंबई, 7 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बॉम्बे हाई कोर्ट ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) को फिल्म ‘अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी’ के सर्टिफिकेशन के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) मांगने पर कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने सीबीएफसी को निर्देश दिया है कि वह बिना ठोस कारण बताए फिल्म की सर्टिफिकेशन प्रक्रिया को नहीं रोके।

यह निर्देश उस समय दिया गया जब फिल्म के मेकर्स ने आरोप लगाया कि सीबीएफसी ने उनकी फिल्म का सर्टिफिकेट बिना किसी स्पष्ट वजह बताए ही रिजेक्ट कर दिया, जो कि 2024 के सर्टिफिकेशन नियमों के खिलाफ है।

सम्राट सिनेमैटिक्स की ओर से वकीलों नाफडे, सतत्य आनंद और निखिल अड़धे ने कोर्ट में कहा कि 2024 के नियमों के अनुसार, सीबीएफसी की जिम्मेदारी है कि यदि किसी सीन या डायलॉग पर आपत्ति हो, तो वह स्पष्ट रूप से बताएं, ताकि मेकर्स सही जवाब दे सकें या आवश्यकता पड़ने पर बदलाव कर सकें।

जब जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और डॉ. नीला गोकले की बेंच ने देखा कि सीबीएफसी का रवैया अड़चन उत्पन्न करने वाला है।

कोर्ट ने कहा कि बोर्ड बिना कोई कारण बताए सर्टिफिकेशन प्रक्रिया को जटिल बना रहा है और बेकार की रुकावटें खड़ी कर रहा है।

कोर्ट ने सीबीएफसी से कहा, "आप जो कारण दे रहे हैं, वो उचित नहीं हैं। ये नियमों के अनुसार नहीं है। आप फिल्म को रिजेक्ट क्यों कर रहे हैं? ये स्पष्ट रूप से क्यों नहीं बता रहे? 11 अगस्त तक आप बताइए कि फिल्म में कौन-कौन से सीन या डायलॉग आपत्तिजनक हैं।"

कोर्ट ने सीबीएफसी की कमेटी को निर्देश दिया कि वे फिल्म को ध्यान से देखें और यदि कोई आपत्ति हो, तो स्पष्ट और संक्षिप्त सुझाव दें, न कि केवल सामान्य कारण बताकर फिल्म को रिजेक्ट करें।

कोर्ट ने समयसीमा भी दी है। सीबीएफसी को 11 अगस्त 2025 तक यह बताना होगा कि फिल्म में कौन-कौन से सीन या डायलॉग आपत्तिजनक हैं या क्या बदलाव करने चाहिए।

फिल्म के मेकर्स को 11 अगस्त 2025 को सीबीएफसी की आपत्तियों या सुझाए गए बदलावों पर अपना जवाब देना होगा। इसके बाद यह मामला 14 अगस्त 2025 को फिर से कोर्ट में सुनवाई होगी।

दिलचस्प बात यह है कि सीबीएफसी पहले भी कई राजनीतिक नेताओं पर बनी फिल्मों को सर्टिफिकेट दे चुका है, जिनमें ‘पीएम नरेंद्र मोदी’ (2019), ‘मैं हूं अटल’ (2024), ‘धर्मवीर’ (2022), ‘थलाइवी’ (2021), ‘ठाकरे’ (2019), ‘यात्रा’ (2019), और हाल ही में योगी आदित्यनाथ पर आधारित ‘द यूपी फाइल्स’ (2024) शामिल हैं।

Point of View

यह स्पष्ट है कि न्यायालय का यह निर्णय फिल्म उद्योग के लिए महत्वपूर्ण है। सीबीएफसी को जवाबदेह ठहराने की आवश्यकता है, ताकि फिल्मों की सर्टिफिकेशन प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष हो। यह मामला न केवल फिल्म निर्माताओं के अधिकारों की सुरक्षा करता है, बल्कि दर्शकों को भी सच्चाई जानने का अवसर देता है।
NationPress
07/08/2025

Frequently Asked Questions

बॉम्बे हाई कोर्ट ने सीबीएफसी को क्या निर्देश दिए?
बॉम्बे हाई कोर्ट ने सीबीएफसी को बिना ठोस कारण बताए फिल्म की सर्टिफिकेशन प्रक्रिया को रोकने से मना किया है।
फिल्म 'अजेय' का विषय क्या है?
फिल्म 'अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी' योगी आदित्यनाथ की जीवन कहानी पर आधारित है।
सीबीएफसी ने पहले किस प्रकार की फिल्मों को सर्टिफिकेट दिया है?
सीबीएफसी ने कई राजनीतिक नेताओं पर बनी फिल्मों को सर्टिफिकेट दिया है, जैसे 'पीएम नरेंद्र मोदी' और 'मैं हूं अटल'।