बीआर चोपड़ा: क्या वे भारतीय सिनेमा के 'महानायक' हैं जो 'महाभारत' के जरिए घर-घर पहुंचे?
सारांश
Key Takeaways
- बीआर चोपड़ा ने भारतीय सिनेमा को नई दिशा दी।
- उनके शो 'महाभारत' ने भारतीय टेलीविजन को एक नया स्वरूप दिया।
- उन्होंने गंभीर सामाजिक मुद्दों पर आधारित फिल्में बनाई।
- उनका योगदान भारतीय संस्कृति को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण रहा।
- उनकी अंतिम फिल्म भूतनाथ थी।
नई दिल्ली, 5 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बलदेव राज (बी.आर.) चोपड़ा भारतीय सिनेमा और टेलीविजन के एक प्रमुख निर्माता और निर्देशक थे। उन्होंने अपने करियर में दास्तान, तवायफ और बागबान जैसी अनेक अद्भुत फिल्में बनाई। उनका टीवी शो 'महाभारत' आज भी लोगों की यादों में बसा हुआ है। भले ही आज बीआर चोपड़ा हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी फिल्मों और टीवी शो के माध्यम से वे हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगे।
उनकी करियर की शुरुआत फिल्म अफसाना से हुई, जिसने बॉक्स ऑफिस पर सफलता प्राप्त की और उन्हें पहचान दिलाई। 1955 में उन्होंने अपना प्रोडक्शन हाउस 'बीआर फिल्म्स' स्थापित किया, जिसके तहत उन्होंने दिलीप कुमार और वैजयंती माला की फिल्म 'नया दौर' बनाई। इसके पश्चात उन्होंने गुमराह, कानून, साधना, पति-पत्नी और वो, हमराज, निकाह, कर्म, एक ही रास्ता और बाबुल जैसी कई सुपरहिट फिल्में दीं, जिन्होंने भारतीय सिनेमा में अमिट छाप छोड़ी।
बीआर चोपड़ा को घर-घर में पहचान 1988 में उनके टीवी शो 'महाभारत' से मिली। उस समय जब टीवी हर घर में नहीं था, पूरा गांव एक ही घर में इकट्ठा होकर इस महाकाव्य का आनंद लेने आता था। इस शो की लागत लगभग 9 करोड़ रुपए थी और यह टीआरपी के मामले में आज भी याद किया जाता है। लॉकडाउन के दौरान इसका पुनः प्रसारण हुआ और इसने पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए।
बीआर चोपड़ा का योगदान केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं था। उन्होंने भारतीय सिनेमा को नई दिशा और गंभीर विषयों पर आधारित कहानियों से समृद्ध किया। उनकी अंतिम फिल्म भूतनाथ थी। 1998 में उन्हें भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान, दादा साहब फाल्के अवार्ड से नवाजा गया।
बीआर चोपड़ा का निधन 5 नवंबर 2008'महाभारत' के निर्माता के रूप में उनका नाम हमेशा याद रखा जाएगा। उनकी फिल्मों और टेलीविजन कृतियों ने न केवल मनोरंजन किया, बल्कि भारतीय संस्कृति और मूल्यों को भी दर्शकों तक पहुंचाया।