क्या कैबिनेट ने रबी सीजन 2025-26 के लिए पीएंडके उर्वरकों पर पोषक तत्व आधारित सब्सिडी रेट्स को मंजूरी दी?
सारांश
Key Takeaways
- पीएंडके उर्वरकों पर सब्सिडी दरों का अनुमोदन किया गया है।
- रबी सीजन 2025-26 के लिए बजटीय आवश्यकता 37,952.29 करोड़ रुपये होगी।
- किसानों को सस्ती कीमतों पर उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।
नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को रबी सीजन 2025-26 के लिए फॉस्फेटिक और पोटाशिक (पीएंडके) उर्वरकों पर पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) दरों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
रबी सीजन 2025-26 के लिए अनुमानित बजटीय आवश्यकता लगभग 37,952.29 करोड़ रुपये होगी, जो कि खरीफ सीजन 2025 की बजटीय आवश्यकता से लगभग 736 करोड़ रुपए अधिक है।
इस प्रस्ताव के चलते किसानों को सब्सिडीयुक्त, किफायती और उचित मूल्य पर उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।
डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) और एनपीकेएस (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, सल्फर) ग्रेड सहित पीएंडके उर्वरकों पर किसानों को सब्सिडी रबी 2025-26 के लिए अनुमोदित दरों के आधार पर प्रदान की जाएगी। इससे किसानों को सस्ती कीमतों पर इन महत्वपूर्ण उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।
रसायन और उर्वरक मंत्रालय की जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार किसानों को डीएपी सहित पी एंड के उर्वरकों के 28 ग्रेड उर्वरक निर्माताओं और आयातकों के माध्यम से सब्सिडी वाले मूल्यों पर उपलब्ध करवा रही है।
एनबीएस योजना के तहत पी एंड के उर्वरकों पर 1 अप्रैल 2010 से ही किसानों को सब्सिडी दी जा रही है।
यूरिया, डीएपी, एमओपी और सल्फर जैसे उर्वरकों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में हाल के रुझानों को देखते हुए केंद्र सरकार ने डीएपी और एनपीकेएस ग्रेड सहित फॉस्फेटिक और पोटाशिक (पीएंडके) उर्वरकों पर इस वर्ष 1 अक्टूबर से 31 मार्च 2026 तक की अवधि के लिए एनबीएस दरों को मंजूरी देने का निर्णय लिया है।
मंत्रालय ने कहा है कि अपने किसान हितैषी दृष्टिकोण के तहत सरकार किसानों को सस्ती कीमतों पर पी एंड के उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इससे पहले इस महीने की शुरुआत में, प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने मार्केटिंग सीजन 2026-27 के लिए सभी अनिवार्य रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को मंजूरी दी थी। इसका उद्देश्य किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलना सुनिश्चित करना था।