क्या कंबोडिया और थाईलैंड ने संघर्षविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए?

सारांश
Key Takeaways
- कंबोडिया और थाईलैंड ने संघर्षविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
- समझौता क्षेत्रीय निगरानी तंत्र की स्थापना पर आधारित है।
- दोनों देशों ने आपसी विश्वास बहाली पर जोर दिया है।
- आसियान की भूमिका निगरानी में महत्वपूर्ण होगी।
- अगली जीबीसी बैठक जल्द ही आयोजित की जाएगी।
कुआलालंपुर, 7 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। कंबोडिया और थाईलैंड ने गुरुवार को संघर्षविराम की व्यवस्था को औपचारिक रूप देने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह निर्णय मलेशिया की राजधानी में आयोजित एक विशेष जनरल बॉर्डर कमेटी (जीबीसी) बैठक के बाद लिया गया।
कंबोडियाई पक्ष के अनुसार, दोनों देशों ने संघर्षविराम को लेकर विस्तृत चर्चा की और एक क्षेत्रीय निगरानी तंत्र स्थापित करने, आपसी विश्वास बहाली और पकड़े गए सैनिकों के साथ अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत व्यवहार करने पर सहमति जताई।
वहीं, थाई पक्ष ने बताया कि दोनों देशों ने द्विपक्षीय तंत्र के माध्यम से संवाद बनाए रखने और विवाद सुलझाने पर सहमति जताई है। इसके अलावा, आसियान सदस्य देशों को संघर्षविराम की निगरानी की अनुमति दी जाएगी।
दोनों देशों ने यह भी तय किया कि अगली विशेष जीबीसी बैठक एक महीने के भीतर आयोजित की जाएगी।
इस बीच, 6 अगस्त को कंबोडियाई विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने थाईलैंड द्वारा कंबोडिया पर सैन्य बल और हथियारों के जरिए उसकी संप्रभुता का उल्लंघन करने को लेकर की गई कानूनी कार्रवाई को निराधार और राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया।
विदेश मंत्रालय के सचिव और प्रवक्ता चुम सौनरी ने कहा कि यह कानूनी कदम पूर्णतः आधारहीन है और थाईलैंड की कंबोडिया-विरोधी नीतियों से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय ध्यान भटकाने का प्रयास है।
उन्होंने कहा, “आरोप बेबुनियाद, राजनीतिक रूप से प्रेरित और किसी ठोस प्रमाण पर आधारित नहीं हैं।” सौनरी ने स्पष्ट किया कि कंबोडिया ने झड़प की शुरुआत नहीं की थी और वह शांति के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि लगातार उकसावे के बावजूद कंबोडिया संघर्षविराम समझौते के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
प्रवक्ता ने कहा, “कंबोडिया थाईलैंड से अपील करता है कि वह झूठे प्रचार और शत्रुतापूर्ण गतिविधियों को रोके और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व तथा आसियान एकता की भावना के साथ रचनात्मक संवाद में लौटे।”
गौरतलब है कि 24 जुलाई को कंबोडिया और थाईलैंड के सैनिकों के बीच उनके विवादित सीमा क्षेत्र में झड़पें हुई थीं। इसके बाद 28 जुलाई को दोपहर में दोनों देशों ने संघर्षविराम पर सहमति जताई, जो उसी दिन मध्यरात्रि से प्रभावी हो गया।