क्या सीबीआई उन्नाव दुष्कर्म केस में कुलदीप सेंगर के बेल ऑर्डर को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी?
सारांश
Key Takeaways
- कुलदीप सेंगर को दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत मिली है।
- सीबीआई ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का निर्णय लिया है।
- पीड़िता का परिवार जमानत के खिलाफ है।
- यह मामला 2017 में शुरू हुआ था।
- यह फैसला महिलाओं के खिलाफ अपराधों के खिलाफ न्याय का एक महत्वपूर्ण कदम है।
नई दिल्ली, 24 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उन्नाव दुष्कर्म मामले में दोषी घोषित पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत मिलने के फैसले पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने महत्वपूर्ण कदम उठाने का निर्णय लिया है। सीबीआई ने स्पष्ट किया है कि वह इस आदेश के खिलाफ शीघ्र सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी और वहां विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करेगी।
असल में, दिल्ली हाईकोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने कुलदीप सेंगर की सजा को निलंबित करते हुए उन्हें जमानत देने का आदेश दिया था। इस फैसले पर देशभर में प्रतिक्रियाएं आईं और इस पर गंभीर सवाल उठाए गए। सीबीआई के साथ-साथ पीड़िता का परिवार भी इस आदेश का कड़ा विरोध कर रहा है।
सीबीआई अधिकारियों के अनुसार, एजेंसी ने हाईकोर्ट के निर्णय का गहन अध्ययन किया है और अब सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती देने की पूरी तैयारी है।
एजेंसी ने यह भी बताया कि हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सेंगर की जमानत याचिका का जोरदार विरोध किया गया था। सीबीआई ने समय पर जवाब दाखिल किए और लिखित दलीलों के जरिए अदालत के सामने मामले की गंभीरता और जमानत से जुड़े संभावित खतरों को उजागर किया।
पीड़िता का परिवार भी शुरू से ही सेंगर को जमानत दिए जाने के खिलाफ रहा है। परिवार का कहना है कि सेंगर के बाहर आने से उनकी सुरक्षा को गंभीर खतरा हो सकता है।
उन्होंने यह भी आशंका जताई है कि जमानत मिलने से पहले से लंबित न्याय प्रक्रिया और अधिक प्रभावित हो सकती है। परिवार ने अदालत में यह बात मजबूती से रखी कि उन्हें लगातार धमकियों का डर है।
गौरतलब है कि उन्नाव दुष्कर्म मामला वर्ष 2017 में सामने आया था, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रखा था। यह मामला एक नाबालिग लड़की के साथ हुए यौन उत्पीड़न से संबंधित था। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 2019 में कुलदीप सेंगर को दोषी ठहराया गया और उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई। यह फैसला महिलाओं के खिलाफ अपराधों और प्रभावशाली लोगों के दुरुपयोग के खिलाफ न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना गया।
सीबीआई का कहना है कि वह इस मामले में न्याय से कोई समझौता नहीं होने देगी। एजेंसी ने स्पष्ट कहा है कि दिल्ली हाईकोर्ट के जमानत आदेश को तुरंत सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी और पूरे दमखम के साथ मामले को आगे बढ़ाया जाएगा।