क्या बंगाल में अभिजीत सरकार हत्याकांड के फरार आरोपी को सीबीआई ने गिरफ्तार किया?

सारांश
Key Takeaways
- अभिजीत सरकार की हत्या के मुख्य फरार आरोपी की गिरफ्तारी।
- सीबीआई द्वारा 50 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया था।
- चार अन्य मुख्य आरोपी अब भी फरार हैं।
- तृणमूल कांग्रेस के नेताओं की संलिप्तता पर सवाल।
- मामले की निष्पक्ष जांच की आवश्यकता।
कोलकाता, 26 जून (राष्ट्र प्रेस)। वर्ष 2021 में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा में भाजपा कार्यकर्ता अभिजीत सरकार की हत्या के मुख्य फरार आरोपी को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार व्यक्ति लंबे समय से इस मामले में फरार था और उसने कभी भी जांच में भाग नहीं लिया।
गिरफ्तार व्यक्ति की पहचान अरुण डे के रूप में हुई है, जिसके लिए सीबीआई ने पहले 50 हजार रुपए का इनाम घोषित किया था। वह 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद भड़की हिंसा के दौरान उत्तरी कोलकाता के कंकुरगाछी इलाके में रहने वाले सरकार की हत्या के पांच मुख्य आरोपियों में से एक था। सूत्रों के अनुसार, डे को आखिरकार गुरुवार को पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के एक गुप्त ठिकाने से गिरफ्तार किया गया। हालांकि, मामले पर आगे की जानकारी का अभी इंतजार है।
मामले के चार अन्य मुख्य आरोपी सुखदेव पोद्दार उर्फ सुखा, गोपाल दास उर्फ विशाल, अमित और विश्वजीत दास उर्फ बोम्बा अब भी फरार हैं। सभी पांच आरोपियों की पहचान क्षेत्र में तृणमूल कांग्रेस के प्रमुख नेताओं के रूप में की गई थी और वे उत्तर कोलकाता के बेलेघाटा विधानसभा क्षेत्र से सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक परेश पॉल और कोलकाता नगर निगम (केएमसी) में तृणमूल कांग्रेस के पार्षद स्वप्न समाद्दार के करीबी विश्वासपात्र थे। इस सिलसिले में पॉल से सीबीआई के अधिकारियों ने पहले ही पूछताछ की है। हालांकि, इस मामले में सीबीआई द्वारा दायर आरोपपत्र में उनका नाम नहीं था, जिससे मारे गए भाजपा कार्यकर्ता के परिवार के सदस्य नाराज थे।
अभिजीत सरकार की हत्या 2 मई 2021 को विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के तुरंत बाद हुई थी। तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव में शानदार जीत हासिल की थी। कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सीबीआई ने कोलकाता पुलिस से जांच अपने हाथ में ले ली थी। सितंबर 2021 में कोलकाता की एक ट्रायल कोर्ट ने पांचों आरोपियों को फरार घोषित कर दिया था।
इसके बाद, सीबीआई ने उनमें से प्रत्येक पर 50-50 हजार रुपए का इनाम घोषित किया। अंततः, चार साल से अधिक समय के बाद, सीबीआई के अधिकारियों ने पांच आरोपियों में से एक को गिरफ्तार कर लिया है। सूत्रों ने बताया कि उसे बाद में कोलकाता की एक विशेष अदालत में पेश किया जा सकता है और सीबीआई के वकील आगे की पूछताछ के लिए उसकी हिरासत की मांग कर सकते हैं।