क्या ओबीसी कोटे में घुसपैठ नहीं होने देंगे? जरूरत पड़ी तो आंदोलन करेंगे: छगन भुजबल

सारांश
Key Takeaways
- ओबीसी कोटे में किसी अन्य जाति को शामिल नहीं किया जा सकता।
- सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करना आवश्यक है।
- अगर ओबीसी के अधिकारों का उल्लंघन हुआ, तो आंदोलन किया जाएगा।
- ओबीसी को 27% आरक्षण मिला है, जिसमें 374 जातियां शामिल हैं।
मुंबई, 1 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर चल रहा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसी क्रम में राज्य के कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल ने सोमवार को मुंबई में ओबीसी नेताओं के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक के बाद एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि ओबीसी कोटे में किसी भी जाति को गैरकानूनी तरीके से शामिल नहीं किया जाना चाहिए।
भुजबल ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के कई फैसले इस मामले में स्पष्ट हैं। मराठा और कुणबी जातियां अलग-अलग हैं। 'मराठा-कुणबी एक हैं' कहना सामाजिक रूप से गलत है और कोर्ट के आदेशों के खिलाफ भी।"
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और पिछड़ा आयोग पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि मराठा समुदाय को ओबीसी वर्ग में नहीं जोड़ा जा सकता।
भुजबल ने चेतावनी दी कि अगर ओबीसी के अधिकारों के साथ खिलवाड़ हुआ, तो विरोध प्रदर्शन करने के लिए उन्हें मजबूर होना पड़ेगा।
उन्होंने बताया, "ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण मिला है, जिसमें अब केवल 17 प्रतिशत ही बचा है, क्योंकि 374 जातियां पहले से ही इसमें शामिल हैं। अगर और जातियों को इसमें जोड़ा गया, तो यह अन्याय होगा।"
उन्होंने सवाल उठाया कि यदि कोई कहता है कि उसे दलितों में शामिल किया जाए, तो क्या हम इसे स्वीकार कर लेंगे? देश में कानून और संविधान है, फैसले उन्हीं के आधार पर होंगे।
भुजबल ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री और दोनों उपमुख्यमंत्रियों से मिलकर ओबीसी वर्ग के हितों की चिंता साझा की। उन्होंने कहा, "हमने स्पष्ट कर दिया है कि किसी को क्या देना है, यह सरकार जाने, लेकिन हमारे कोटे में किसी को गैरकानूनी तरीके से शामिल न किया जाए।"
मंत्री भुजबल ने स्पष्ट किया कि यदि कोई समुदाय ओबीसी में शामिल होना चाहता है, तो उसे कानूनी प्रक्रिया और आयोग के माध्यम से आना होगा। किसी मंत्री या नेता को इसमें दखल देने का अधिकार नहीं है।
भुजबल ने कहा कि यदि मराठा समुदाय को ओबीसी कोटे को छेड़े बिना आरक्षण मिल जाता है, तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन यदि ओबीसी के अधिकारों में कटौती की गई, तो लाखों लोग सड़कों पर उतर सकते हैं।
दूसरी ओर, मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अनशन पर बैठे मराठा कार्यकर्ता मनोज जारंगे पाटिल के आंदोलन में खाने की बर्बादी हो रही है। जमीन पर अनाज की बर्बादी वे लोग कर रहे हैं जो आरक्षण की मांग कर रहे हैं। इसके साथ फल की भी बर्बादी हो रही है।