क्या छत्रपति शिवाजी के 12 किले विश्व धरोहर में शामिल हुए?

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क्या छत्रपति शिवाजी के 12 किले विश्व धरोहर में शामिल हुए?

सारांश

छत्रपति शिवाजी महाराज के 12 किलों को विश्व धरोहर का दर्जा मिलने पर जश्न मनाया गया। यह ऐतिहासिक अवसर न केवल मराठा साम्राज्य की विजय का प्रतीक है, बल्कि पर्यटन और सांस्कृतिक संरक्षण के लिए भी महत्वपूर्ण है। जानें, इस उत्सव का महत्व और इससे जुड़े कार्यक्रमों के बारे में।

Key Takeaways

  • छत्रपति शिवाजी के 12 किलों को विश्व धरोहर का दर्जा मिला।
  • लोहगढ़ किला इस सूची में शामिल है।
  • जश्न में आतिशबाजी और मिठाई बांटी गई।
  • किलों के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
  • यह घटना स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देगी।

पुणे, 12 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। विश्व धरोहर समिति का 47वां सम्मेलन पेरिस, फ्रांस में आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में छत्रपति शिवाजी महाराज के अद्वितीय योगदान से पवित्र हुए मराठा साम्राज्य के 12 शिवकालीन किलों को विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया। मावल तालुका का लोहगढ़ किला भी इस सूची में शामिल है। शनिवार को शिवदुर्ग किला प्रेमियों और स्थानीय नागरिकों ने लोहगढ़ किले की तलहटी में उत्साह के साथ जश्न मनाया.

इस मौके पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। सबसे पहले, छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के पास भव्य जुलूस निकाला गया। उन पर माल्यार्पण किया गया और जश्न मनाने के लिए आतिशबाजी के साथ लड्डू बांटे गए.

यहां आए बसप्पा भंडारी ने कहा कि लोहगढ़ का नाम विश्व धरोहर में शामिल होना हम सभी के लिए गर्व की बात है। यह हमारे मावल का नाम यूनेस्को में जाने से भी खुशी का विषय है। उन्होंने कहा कि पर्यटन बढ़ाने के लिए प्रशासन को सड़क निर्माण पर ध्यान देना चाहिए और किले के आसपास चल रहे निर्माण कार्यों पर रोक लगानी चाहिए, अन्यथा इससे किले को नुकसान हो सकता है.

छत्रपति शिवाजी महाराज के 12 किलों में सातारा जिले का प्रतापगढ़ किला भी शामिल है। इस अवसर पर पालकमंत्री शंभूराज देसाई और लोक निर्माण मंत्री शिवेंद्र सिंह राजे भोंसले ने शिवतीर्थ पवई नाका पर छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और जयकारे लगाए. इस मौके पर विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक और स्कूली पृष्ठभूमि के छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित थे.

नागपुर के शिवतीर्थ महाल स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को माला अर्पित कर उत्सव मनाया गया। इस अवसर पर भाजपा की ओर से पटाखे फोड़कर और एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी व्यक्त की गई। इस कार्यक्रम में भाजपा विधायक प्रवीण दटके समेत अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे। इस दौरान लोगों ने छत्रपति शिवाजी महाराज के शौर्य और किलों को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिलने को गौरव और आनंद का क्षण बताया.

Point of View

हम यह मानते हैं कि छत्रपति शिवाजी महाराज के किलों का विश्व धरोहर में शामिल होना न केवल उनके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है, बल्कि यह आज की पीढ़ी को उनके साहस और नेतृत्व से भी प्रेरित करता है। यह कदम हमारे समृद्ध इतिहास और संस्कृति की पहचान को उजागर करता है।
NationPress
04/09/2025

Frequently Asked Questions

छत्रपति शिवाजी के किलों को कब विश्व धरोहर का दर्जा मिला?
12 जुलाई, 2023 को पेरिस में आयोजित विश्व धरोहर समिति के 47वें सम्मेलन में छत्रपति शिवाजी के किलों को विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया।
लोहगढ़ किला किस तालुका में स्थित है?
लोहगढ़ किला मावल तालुका में स्थित है।
इस घटना का जश्न कैसे मनाया गया?
इस अवसर पर लोहगढ़ किले की तलहटी में जुलूस, माल्यार्पण, आतिशबाजी और मिठाई बांटने जैसे कार्यक्रम आयोजित किए गए।
क्यों जरूरी है किलों का संरक्षण?
किलों का संरक्षण हमारी सांस्कृतिक धरोहर को बनाए रखने और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है।
क्या इस घटना से पर्यटन को बढ़ाने में मदद मिलेगी?
हाँ, इस घटना से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सहायता मिलेगी।