क्या छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्रियों की बैठक में धान खरीद पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए?

सारांश
Key Takeaways
- किसानों के लिए पारदर्शिता और सुगमता को बढ़ावा देना।
- ई-केवाईसी के माध्यम से पंजीकरण अनिवार्य किया गया।
- टोकन तुंहर हाथ ऐप से धान बिक्री का टोकन प्राप्त करना सरल।
- 2,739 खरीद केंद्रों पर उचित व्यवस्था की जाएगी।
- 73 लाख मीट्रिक टन चावल के लक्ष्य को मंजूरी मिली।
रायपुर, 10 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में शुक्रवार को महानदी भवन में कैबिनेट की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 के लिए धान खरीद के बारे में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया कि इन निर्णयों का उद्देश्य किसानों को पारदर्शी और सुगम व्यवस्था उपलब्ध कराना है। राज्य सरकार ने 15 नवंबर 2025 से 31 जनवरी 2026 तक 25 लाख से अधिक किसानों से 3,100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से 21 क्विंटल प्रति एकड़ की सीमा तक धान खरीदने का निर्णय लिया है।
धान खरीद में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार के एग्रीस्टेक पोर्टल पर ई-केवाईसी के माध्यम से किसानों का पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। पंजीकरण की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर 2025 है। इसके अतिरिक्त, 23 लाख हेक्टेयर रकबे का डिजिटल क्रॉप सर्वे पूरा किया गया है, जिससे धान के रकबे का ऑनलाइन निर्धारण सुनिश्चित हुआ है।
किसानों की सुविधा के लिए 'टोकन तुंहर हाथ' मोबाइल ऐप के जरिए ऑनलाइन टोकन व्यवस्था लागू की गई है। इससे किसान अपनी सुविधानुसार धान बिक्री के लिए टोकन प्राप्त कर सकेंगे और लंबी कतारों से मुक्ति मिलेगी। बायोमेट्रिक आधारित खरीद से वास्तविक किसानों की पहचान सुनिश्चित होगी। भुगतान 6 से 7 दिनों के भीतर किया जाएगा।
राज्य में 2,739 खरीद केंद्रों पर समुचित व्यवस्था के निर्देश दिए गए हैं। समितियों को शून्य सुखत पर 5 रुपए प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। धान की रीसाइक्लिंग रोकने और मॉनिटरिंग के लिए मार्कफेड कार्यालय में पहली बार इंटिग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर स्थापित होगा। जिलों में भी कंट्रोल रूम बनाए जाएंगे। सीमावर्ती राज्यों से अवैध धान की आवक रोकने के लिए विशेष चेकिंग दलों का गठन होगा।
केंद्र सरकार ने खरीफ वर्ष 2025-26 के लिए 73 लाख मीट्रिक टन चावल के लक्ष्य को मंजूरी दी है। धान परिवहन और भौतिक सत्यापन में मितव्ययता बरतने के निर्देश दिए गए हैं। इन निर्णयों का उद्देश्य छत्तीसगढ़ के किसानों को समय पर भुगतान, पारदर्शिता और बेहतर सुविधाएं दिलाना है।