क्या चीनी फिल्म '731' ने जघन्य ऐतिहासिक सच्चाई को उजागर किया?

सारांश
Key Takeaways
- फिल्म '731' ने ऐतिहासिक सच्चाई को उजागर किया है।
- जापानी सेना द्वारा किए गए जीवित मानव प्रयोग का वर्णन है।
- यह फिल्म मानवता के प्रति संवेदनशीलता का संदेश देती है।
- ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित कहानी है।
- दूसरे विश्व युद्ध के बाद की घटनाओं को दर्शाती है।
बीजिंग, 18 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। 18 सितंबर को चीनी फिल्म “731” का विश्व स्तर पर प्रदर्शन हुआ। इस फिल्म में चीन के आक्रमण के दौरान जापानी सेना द्वारा कीटाणु युद्ध के लिए किए गए जीवित मानव प्रयोग की कहानी को प्रस्तुत किया गया है, जो ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है।
18 सितंबर 1931 को जापानी साम्राज्यवाद ने उत्तर पूर्वी चीन पर आक्रमण आरंभ किया। अगस्त 1933 से, जापानी सेना की 731 टुकड़ी ने हारपिन शहर में गुप्त रूप से कीटाणु हथियारों का अनुसंधान शुरू किया। उन्होंने आम नागरिकों और जापानी आक्रमण विरोधी व्यक्तियों का अपहरण कर जीवित मानव प्रयोग किए।
ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, 731 टुकड़ी के सदस्यों की अधिकतम संख्या 4515 थी। इस अवधि में कम से कम 5000 से अधिक लोग प्रयोग में मारे गए। मृतकों में चीनी लोगों के साथ-साथ सोवियत संघ, मंगोलिया और कोरिया के लोग भी शामिल थे।
दिसंबर 1949 में, सोवियत संघ की एक विशेष सैन्य अदालत ने जापानी कीटाणु युद्ध और जीवित मानव प्रयोग से संबंधित 21 जापानी युद्ध अपराधियों पर मुकदमा चलाया। 731 टुकड़ी के सदस्य कुरुमाज़वा मसाकुनी ने स्वीकार किया कि उन्होंने 300 लोगों के शरीर की चीर-फाड़ की। इनमें से लगभग एक तिहाई को फॉर्मेलिन में सुरक्षित किया गया और बाकी को जला दिया गया।
यह उल्लेखनीय है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, 731 टुकड़ी के अधिकांश सदस्यों को अमेरिका की शरण में सजा नहीं मिली। नवंबर 1948 में, अमेरिका ने जापान के साथ एक गुप्त समझौता किया और संबंधित अपराधियों पर मुकदमा नहीं चलाने की शर्त पर 2 लाख 50 हजार जापानी येन से कीटाणु प्रयोग की सामग्री प्राप्त की।
चीनी फिल्म “731” केवल दुःख की कहानी नहीं है, बल्कि यह ऐतिहासिक वास्तविकता का पर्दाफाश करती है।
(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)