क्या वोटरों के साथ चुनाव आयोग कर रहा है खिलवाड़? : इमरान मसूद

सारांश
Key Takeaways
- बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट रिवीजन पर उठे सवाल।
- इमरान मसूद ने चेतावनी दी कि यह लोकतंत्र को कमजोर कर सकता है।
- चुनाव आयोग को पारदर्शिता लाने की आवश्यकता है।
- विपक्ष ने 9 जुलाई को चक्का जाम का ऐलान किया।
- विदेश नीति पर खड़गे की आलोचना का समर्थन।
नई दिल्ली, 5 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग द्वारा वोटर लिस्ट रिवीजन के संबंध में विपक्ष ने आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा है कि गरीबों को वोटर लिस्ट से हटाने के लिए यह प्रक्रिया की जा रही है। विपक्ष का आरोप है कि एक महीने में पूरा बिहार वोटर लिस्ट रिवीजन कैसे किया जा सकता है। इस मुद्दे पर 9 जुलाई को चक्का जाम करने की घोषणा की गई है। इस पर कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा कि वोटर लिस्ट के साथ जो खिलवाड़ किया जा रहा है, वह लोकतंत्र को समाप्त कर देगा।
शनिवार को समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा कि यदि चुनाव आयोग निष्पक्ष ढंग से चुनाव नहीं कराएगा, तो लोकतंत्र नहीं बचेगा। लोकतंत्र को जीवित रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान लेना चाहिए और चुनाव आयोग की निगरानी में काम करना चाहिए।
इमरान मसूद ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के उस बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने मोदी सरकार की विदेश नीति की आलोचना की। खड़गे के अनुसार, विदेश नीति की विफलता के कारण आज सभी देश हमारे दुश्मन बनते जा रहे हैं। इमरान मसूद ने कहा कि 2004 में यूपीए सरकार के दौरान पाकिस्तान को आतंकवादी देश की सूची में शामिल किया गया था, और अब पाकिस्तान आतंकवाद निरोधक समिति का अध्यक्ष बन रहा है और उसे संयुक्त राष्ट्र में बिना किसी विरोध के 182 वोट मिल रहे हैं। यह अत्यंत चिंता का विषय है। हमें खुद से यह पूछना चाहिए कि हम कहाँ खड़े हैं। भारत का पड़ोसी देश दुश्मन बनता जा रहा है।
महाराष्ट्र भाषा विवाद पर इमरान मसूद ने कहा कि यह एक निराधार मुद्दा है। हर भाषा अपने तरीके से सुंदर होती है, और लोगों को ज्ञान प्राप्त करना चाहिए और विभिन्न भाषाएं सीखनी चाहिए। अगर मैं मराठी बोलना शुरू कर दूं तो यह मेरे लिए अच्छी बात है कि मैं नई भाषा को जान पाया।
राज ठाकरे इंडिया गठबंधन का हिस्सा बन सकते हैं। इस पर उन्होंने कहा कि मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकता, फैसला राज ठाकरे को ही लेना है।
कर्नाटक सरकार द्वारा लाए गए एक बिल पर भाजपा के विरोध को लेकर उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी का मतलब यह नहीं होता कि आप दूसरे की निजता पर कीचड़ उछालें। सरकार द्वारा लिया गया निर्णय उचित है।