क्या सीएम योगी के नेतृत्व में गो सेवा से उत्तर प्रदेश की तरक्की होगी?

सारांश
Key Takeaways
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने के लिए योगी आदित्यनाथ का प्रयास।
- गो सेवा आयोग और पतंजलि योगपीठ के बीच सहयोग।
- गोशालाओं का विकास अब ग्रामीण उद्योग के रूप में होगा।
- नई तकनीकी का उपयोग करके गोशालाओं को आधुनिक बनाया जाएगा।
- फसलों की लागत घटाने और पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान।
लखनऊ, 17 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दृष्टिकोण को साकार करने हेतु उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग ने पतंजलि योगपीठ के साथ मिलकर एक साझा रणनीति बनाई है।
हरिद्वार स्थित पतंजलि योगपीठ में उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता ने योग गुरु बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के सह-संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण के साथ विस्तृत चर्चा की। इस चर्चा में उत्तर प्रदेश में गो संरक्षण, पंचगव्य उत्पाद, प्राकृतिक खेती और बायोगैस संयंत्रों के प्रसार को बढ़ावा देने पर सहमति बनी है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह स्पष्ट मानना है कि गांव की गाय, गांव की विकास का आधार है। इसी सोच को लागू करने के लिए पतंजलि योगपीठ ने तकनीकी सहयोग देने का आश्वासन दिया है। अब गोशालाओं को केवल संरक्षण केंद्र नहीं, बल्कि ग्रामीण उद्योग, पंचगव्य उत्पाद निर्माण और बायोगैस उत्पादन के आधुनिक केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए बाबा रामदेव जल्द ही उत्तर प्रदेश आएंगे और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मिलकर रोडमैप को अंतिम रूप देंगे।
गो सेवा आयोग के ओएसडी डॉ. अनुराग श्रीवास्तव ने जानकारी दी कि प्रदेश के 75 जिलों में 2 से 10 गोशालाओं को चयनित कर उन्हें बड़े मॉडल गोशालाओं के रूप में विकसित किया जाएगा। गो अभयारण्यों में खुले शेड, बाड़ और सुरक्षा व्यवस्था विकसित कर गोवंश की मुक्त आवाजाही सुनिश्चित की जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर उत्पादन से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और 50 प्रतिशत कमीशन मॉडल के माध्यम से गोमूत्र संग्रह व उत्पाद बिक्री में ग्रामीणों की सीधी भागीदारी होगी।
पतंजलि योगपीठ प्रशिक्षण, गुणवत्ता नियंत्रण, फार्मुलेशन, प्रमाणन और लाइसेंसिंग में सहयोग देगा। इसके अलावा, गोशालाओं में जियो-फेंसिंग, गाय टैगिंग, फोटो मैपिंग और चारा इन्वेंटरी ट्रैकिंग जैसी अत्याधुनिक तकनीक लागू की जाएगी। इसके साथ ही, नीम, गोमूत्र और वर्मी कम्पोस्ट जैसे प्राकृतिक इनपुट गांव-गांव तक पहुंचाने का निर्णय लिया गया है। इससे किसानों की लागत घटेगी, मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी और पर्यावरण संरक्षण को मजबूती मिलेगी।