क्या रूस-यूक्रेन ज़ापोरिज़्झिया परमाणु संयंत्र पर समझौते के करीब हैं?
सारांश
Key Takeaways
- रूस और यूक्रेन ज़ापोरिज़्झिया परमाणु संयंत्र पर समझौते के करीब हैं।
- बर्लिन में वार्ताओं का उद्देश्य संयंत्र के संचालन को पुनः स्थापित करना है।
- ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक पुनर्निर्माण पर चर्चा हो रही है।
- वार्ताकार “50-50 बिजली बंटवारे” पर सहमत हो सकते हैं।
- अंतरराष्ट्रीय चिंता का मुख्य कारण यह संयंत्र है।
वॉशिंगटन, 15 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। रूस और यूक्रेन ज़ापोरिज़्झिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र के भविष्य को लेकर किसी समझौते के करीब पहुंचते हुए दिखाई दे रहे हैं। व्हाइट हाउस ने सोमवार को यह जानकारी साझा की। यह मुद्दा बर्लिन में चल रही उन विस्तृत चर्चाओं का हिस्सा है, जिनका लक्ष्य व्यापक शांति वार्ता के तहत संयंत्र के संचालन को पुनः स्थापित करना है।
अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यूक्रेन, रूस और यूरोपीय देशों के वार्ताकारों ने इस संयंत्र के मुद्दे पर काफी समय तक चर्चा की। इससे ऊर्जा सुरक्षा और युद्ध के बाद आर्थिक पुनर्निर्माण में इस संयंत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को लेकर चिंता स्पष्ट होती है।
अधिकारी ने कहा, “इसके दो अलग-अलग पहलू हैं,” जिनमें संयंत्र का संचालन और उससे उत्पन्न बिजली का वितरण शामिल है। हालांकि कुछ मतभेद अब भी बने हुए हैं, लेकिन बातचीत एक वैचारिक सहमति की ओर बढ़ रही है।
उन्होंने आगे कहा, “आखिरकार दोनों पक्ष चाहते हैं कि संयंत्र की मरम्मत हो, वह सुचारु रूप से काम करे और ऊर्जा उपलब्ध कराए।” चर्चा के तहत एक प्रस्ताव यह भी है कि बिजली उत्पादन को समान रूप से बांटा जाए। वार्ताकार “50-50 बिजली बंटवारे” पर लगभग सहमत बताए जा रहे हैं, जिसे “एक अच्छा परिणाम” कहा गया।
यूरोप का सबसे बड़ा परमाणु संयंत्र, ज़ापोरिज़्झिया, युद्ध की शुरुआत से ही अंतरराष्ट्रीय चिंता का केंद्र बना हुआ है। अधिकारी के अनुसार, इसकी स्थिर कार्यप्रणाली की बहाली दोनों पक्षों के बीच विश्वास बहाली की दिशा में एक प्रारंभिक कदम हो सकती है।
बर्लिन वार्ता में ऊर्जा ढांचे पर विशेष जोर दिया गया। अन्य महत्वपूर्ण सुविधाओं को स्थिर करने और भविष्य की शांति प्रक्रिया में जोखिम कम करने के उपायों पर भी चर्चा की गई। अधिकारी ने कहा कि ऊर्जा को तकनीकी चुनौती के साथ-साथ राजनीतिक प्राथमिकता के रूप में भी देखा गया।
चर्चा केवल संयंत्र तक सीमित नहीं रही। कार्य समूहों ने विवादित क्षेत्रों में आर्थिक और बुनियादी ढांचे से जुड़े व्यापक मुद्दों पर भी विचार किया। इनमें एक आर्थिक मुक्त क्षेत्र (इकोनॉमिक फ्री ज़ोन) के विचार पर भी बातचीत हुई, हालांकि अधिकारी ने स्पष्ट किया कि ऐसे प्रस्ताव अभी प्रारंभिक हैं और बाध्यकारी नहीं हैं।
उन्होंने कहा, “हमने काफी समय यह तय करने में लगाया कि इसका मतलब क्या होगा और यह कैसे काम करेगा। अंतिम निर्णय संबंधित पक्षों को ही लेना होगा।”
अधिकारी के मुताबिक, बर्लिन में आमने-सामने हुई बैठकों से प्रगति तेज हुई और साझा सहमति तलाशना आसान हुआ। यूरोपीय अधिकारी भी बातचीत में शामिल रहे और उन्होंने यूक्रेन की ऊर्जा बहाली तथा यूरोप की ऊर्जा सुरक्षा पर इसके प्रभावों को लेकर अपनी चिंताएं साझा कीं।
फरवरी 2022 में युद्ध शुरू होने से पहले, ज़ापोरिज़्झिया संयंत्र यूक्रेन की बिजली आपूर्ति का एक बड़ा हिस्सा प्रदान करता था।