क्या शासकीय योजनाओं को हड़पने वाले ही कहते हैं कि 'वंदे मातरम' नहीं गाएंगे?: सीएम योगी
सारांश
Key Takeaways
- राष्ट्र प्रथम का भाव सभी नागरिकों में होना चाहिए।
- वंदे मातरम का विरोध अस्वीकार्य है।
- राष्ट्रीय एकता के लिए जातिवाद और क्षेत्रवाद को समाप्त करना होगा।
- सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर एकता का संदेश।
- शासकीय योजनाओं का लाभ सभी को मिलना चाहिए।
बाराबंकी, ११ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को स्पष्ट रूप से कहा कि कोई भी मत, मजहब या जाति राष्ट्र से ऊपर नहीं हो सकती। हमारा उद्देश्य राष्ट्र प्रथम होना चाहिए। जब राष्ट्र एक है, तो हम एक हैं। वंदे मातरम की राह में रुकावट राष्ट्रीय एकता के लिए सबसे बड़ी बाधा है।
मुख्यमंत्री ने देशवासियों से आग्रह किया कि उन चेहरों को पहचानें, जो शासकीय योजनाओं को हड़पने के लिए सबसे पहले खड़े होते हैं, फिर भी कहते हैं कि वे वंदे मातरम नहीं गाएंगे। राष्ट्रीय एकता में बाधा डालने वाले इन तत्वों को समाप्त करना आवश्यक है। जातिवाद, परिवारवाद, और क्षेत्रवाद की राजनीति, मत-मजहब के नाम पर विभाजन, समाज में दुष्प्रवृत्तियाँ, और भाई को भाई, जाति को जाति, और क्षेत्र को क्षेत्र से लड़ाने की प्रवृत्तियों को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने भारत रत्न, लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर कुर्सी विधानसभा क्षेत्र की राष्ट्रीय एकता यात्रा के शुभारंभ में भाग लिया। उन्होंने बाराबंकी में 1734 करोड़ रुपए की 254 विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों को चेक और प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए।
सीएम ने तल्ख शब्दों में कहा कि आज भी कुछ लोग हिंदुस्तान का लाभ उठाएंगे, लेकिन वंदे मातरम नहीं गाएंगे। उनके इरादों को समझें। वंदे मातरम का विरोध करने वाले भारत माता का विरोध कर रहे हैं। यह गीत भारत माता की वंदना का प्रतीक है, जो अंतःकरण के भाव को प्रकट करता है। हमने देवी के तीन रूपों (मां दुर्गा, मां सरस्वती, मां लक्ष्मी) का पूजन कर भारत और भारतीयता को आगे बढ़ाने की शक्ति प्राप्त की है। उन्होंने प्रत्येक नागरिक से अपील की है कि वे वंदे मातरम से जुड़कर राष्ट्रीयता को मजबूत बनाएं। वह गीत, जिसे गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर ने स्वर दिया, भारत की एकता व अखंडता का प्रतीक है, और इसका विरोध अस्वीकार्य है।
सीएम ने कहा कि यह नए भारत का दर्शन कराने वाला वर्ष है। इस वर्ष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती और वंदे मातरम की रचना के 150 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती भी मनाई जा रही है। इसके साथ ही बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर द्वारा 26 नवंबर 1949 को प्रस्तुत संविधान के 75 वर्ष भी पूरे हो रहे हैं। वर्ष की शुरुआत में प्रयागराज महाकुम्भ हुआ और अयोध्या में श्रीराम मंदिर के भव्य निर्माण के बाद 25 नवंबर को केसरिया झंडा लहराएगा। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आगमन होने जा रहा है।
उन्होंने कहा कि अंग्रेज नहीं चाहते थे कि भारत एक रहे। उन्होंने भारत को बांटने की साजिश की थी। मुग़ल काल और ब्रिटिश सरकार ने एकता को तोड़ा। जो भारत हजारों वर्षों से अखंड था, ब्रिटिश काल में उसके टुकड़े होते गए। सबसे दुर्भाग्यपूर्ण विभाजन 14 अगस्त 1947 का था, जब भारत की दो भुजाओं को अलग किया गया। उनकी मंशा थी कि भारत को अनेक भागों में बांटा जाए।
सीएम योगी ने कहा कि राष्ट्रीय एकता हमारी आन, बान, शान, अस्तित्व और भावी पीढ़ियों का भविष्य है। बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने राष्ट्रगीत को रचकर स्वाधीनता के लिए अमृत मंत्र का निर्माण किया था, जिसने जनचेतना को जागरूक किया।
उन्होंने लोगों से अपील की कि राष्ट्रीय सुरक्षा और एकता के मार्ग में व्यक्तिगत दुश्मनी या मित्रता बाधा नहीं बननी चाहिए। हमें राष्ट्र के प्रति समर्पण और राष्ट्र प्रथम के भाव से जुड़ना चाहिए, ताकि भारत एक और श्रेष्ठ बन सके।