क्या महाराष्ट्र में भाषा को लेकर हिंसा का कोई स्थान नहीं है? : कांग्रेस नेता असलम शेख

सारांश
Key Takeaways
- भाषा विवाद पर हो रही हिंसा की निंदा की गई।
- कांग्रेस नेता ने सख्ती से कार्रवाई की मांग की।
- सरकार पर असली मुद्दों से ध्यान भटकाने का आरोप लगाया गया।
- हिंसा को रोकने के लिए कठोर कानून की आवश्यकता है।
- सामाजिक सौहार्द बनाए रखना जरूरी है।
मुंबई, 7 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में हिंदी-मराठी भाषा विवाद पर चल रही राजनीति अपने चरम पर पहुँच चुकी है। इस विवाद के चलते कई स्थानों पर मारपीट और हिंसा की घटनाएँ सामने आई हैं। सोमवार को कांग्रेस नेता आलम शेख ने इस भाषा विवाद पर प्रदेश में हो रही हिंसात्मक घटनाओं की कड़ी निंदा की और ऐसी घटनाओं के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की मांग की।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए कांग्रेस नेता असलम शेख ने कहा, "अगर कोई व्यक्ति महाराष्ट्र में रह रहा है और उसे मराठी नहीं आती, तो उसे मराठी सीखनी चाहिए। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि उसे मारना चाहिए। हिंसा का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। अगर कोई कानून अपने हाथ में लेता है, तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।"
शेख ने प्रदेश की फडणवीस सरकार पर असली मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "आज महाराष्ट्र में किसान आत्महत्या कर रहे हैं, महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं, पुलिसकर्मियों पर दबाव डाला जा रहा है, और सत्ता पक्ष के लोग खुद कानून का उल्लंघन कर रहे हैं। सरकार इन बुनियादी समस्याओं से ध्यान हटाकर भाषा विवाद जैसे मुद्दों को तूल दे रही है।"
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री द्वारा भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के बयान पर असलम शेख ने निशाना साधा। उन्होंने कहा, "मैंने देखा है कि वह टीवी और ऑनलाइन माध्यम से दावा करते हैं कि वह भगवान से बात करते हैं। हमारा उनसे कोई संपर्क नहीं है, इसलिए मैं उनके दावों पर कुछ नहीं कहूंगा। लेकिन देश की जनता को समझना चाहिए कि ऐसे बयानों के पीछे क्या उद्देश्य है। ऐसे लोगों के खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई होनी चाहिए। अगर कोई व्यक्ति समाज में नफरत फैलाता है या भ्रामक बातें करता है, तो सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिए।