क्या कांग्रेस सांसद ने इंडिगो संकट के लिए केंद्र को जिम्मेदार ठहराया और इसे डुओपॉली का परिणाम बताया?

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क्या कांग्रेस सांसद ने इंडिगो संकट के लिए केंद्र को जिम्मेदार ठहराया और इसे डुओपॉली का परिणाम बताया?

सारांश

कांग्रेस सांसदों ने केंद्र सरकार पर इंडिगो संकट का आरोप लगाया, कहा कि यह भाजपा की नीतियों का परिणाम है। जानें इस मामले की गहराई और राजनीतिक ramifications.

Key Takeaways

  • इंडिगो संकट भाजपा की डुओपॉली नीति का नतीजा है।
  • विमानन क्षेत्र में सुरक्षा मानकों की कमी को उजागर किया गया है।
  • कांग्रेस ने इलेक्टोरल बॉंड से जुड़ी चिंताएं व्यक्त की हैं।
  • सरकार की नीतियों ने प्रतिस्पर्धा को खत्म किया है।
  • सुरक्षा और जवाबदेही का अभाव है।

चेन्नई, 6 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस ने शनिवार को केंद्र सरकार पर हवाई यात्रा संकट के लिए सीधा हमला करते हुए कहा कि इंडिगो सेवाओं में हो रहा विघटन आकस्मिक नहीं है बल्कि यह सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी सरकार के द्वारा विमानन क्षेत्र में एकाधिकार बनाने के प्रयासों का परिणाम है।

हाल में देश भर में जो यात्रा संकट उत्पन्न हुआ है, उसके संदर्भ में तमिलनाडु से कांग्रेस सांसद शशिकांत सेंथिल ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि 5 दिसंबर को इंडिगो की 1,000 से अधिक उड़ानें रद्द होने और 6 दिसंबर को सैकड़ों और उड़ानें रद्द होने से भारत की हवाई यात्रा प्रणाली पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है।

उन्होंने इस विघटन को एक ऐसा क्षण बताया जिसने केंद्र द्वारा लंबे समय से नजरअंदाज की जा रही कमजोरियों को उजागर किया है। उन्होंने कहा कि इस नीति के नतीजे अब स्पष्ट हो रहे हैं।

सेंथिल ने कहा कि यह संकट कोई स्वाभाविक विफलता नहीं है। यह भाजपा सरकार का पूर्वानुमानित परिणाम है जो प्रतिस्पर्धा को खत्म करने, अपने लोगों को पुरस्कृत करने और राष्ट्रीय उद्योग को एक छोटे से समूह के अनुसार संचालित करने पर तुली हुई है।

उन्होंने बताया कि विमानन सुरक्षा सख्त नियमों और सतत निगरानी पर निर्भर करता है, लेकिन इसे एक ऐसे नीतिगत ढांचे के कारण अस्थिरता का सामना करना पड़ा है जो विनियामक जांच को कमजोर करता है और कुछ निजी खिलाड़ियों को मजबूत बनाता है।

सेंथिल ने कहा कि सरकार के रवैये ने विमानन सुरक्षा के मामले में उसकी लापरवाही की हदें उजागर कर दी हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार ने 8 जनवरी, 2024 को फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (एफडीटीएल) नियम जारी किए और 1 जुलाई से आंशिक रूप से लागू किए। उन्होंने इस क्षेत्र में मंदी के बीच इन सुरक्षा नियमों को निलंबित करने के निर्णय की भी आलोचना की।

सेंथिल ने कहा, "यह सिर्फ गैर-जिम्मेदाराना नहीं है, बल्कि बेहद शर्मनाक भी है। पायलटों की थकान को रोकने के लिए बनाए गए नियमों को समाप्त करके, भाजपा सरकार ने यात्रियों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है और कॉकपिट क्रू की सुरक्षा को अनिश्चितता में डाल दिया है। स्थिति को स्थिर करने के बजाय, उन्होंने इसे और गहरा कर दिया है। यह एक बार फिर साबित करता है कि सुरक्षा और जवाबदेही इस प्रशासन के लिए अपने पसंदीदा निगमों की सुविधा के मुकाबले कोई मायने नहीं रखती।

कांग्रेस सांसद ने आगे कहा कि सरकार की मोनोपॉली बनाने की प्रवृत्ति प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में साफ दिखाई दे रही है। यह ट्रेंड दिखाता है कि कैसे नीति, नियम और सार्वजनिक संपत्तियों का उपयोग एविएशन, टेलीकॉम, पोर्ट्स और अन्य क्षेत्रों में एक खास समूह को मजबूत करने के लिए किया जा रहा है।

उन्होंने इंडिगो संकट को विवादित इलेक्टोरल बॉन्ड से जोड़ा, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक और गैर-कानूनी करार दिया है। उन्होंने कहा कि खुलासे से स्थिति और भी खराब हो गई है। डेटा से पता चलता है कि इंटरग्लोब ग्रुप की कंपनियों ने लगभग 36 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे, और इसके प्रमोटर राहुल भाटिया ने लगभग 20 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे, जिनमें से अधिकांश भाजपा को गए।

Point of View

लेकिन हमें यह समझना चाहिए कि नागरिकों की सुरक्षा और सेवाओं की गुणवत्ता सर्वोपरि है। हमें सरकार से सही जवाबदेही की उम्मीद करनी चाहिए।
NationPress
06/12/2025

Frequently Asked Questions

इंडिगो संकट का कारण क्या है?
इंडिगो संकट का कारण केंद्र सरकार की नीतियों और डुओपॉली नीति को माना जा रहा है।
कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर क्या आरोप लगाया है?
कांग्रेस ने कहा कि इंडिगो सेवाओं में विघटन भाजपा सरकार की योजनाओं का परिणाम है।
क्या यह संकट आकस्मिक है?
कांग्रेस सांसदों के अनुसार, यह संकट आकस्मिक नहीं, बल्कि पूर्वानुमानित है।
इलेक्टोरल बॉन्ड का क्या संबंध है?
इंडिगो संकट को विवादित इलेक्टोरल बॉन्ड से जोड़ा गया है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया है।
भाजपा सरकार की नीतियों का क्या प्रभाव है?
भाजपा सरकार की नीतियों का प्रभाव उद्योग में एकाधिकार और सुरक्षा मानकों की कमी के रूप में देखा जा रहा है।
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