क्या मध्य प्रदेश विधानसभा परिसर में कांग्रेस विधायकों ने बजाई बीन?

सारांश
Key Takeaways
- कांग्रेस विधायकों ने प्रदर्शन करते हुए सरकार पर आरोप लगाया।
- भाजपा सरकार की संवेदनहीनता पर उठाए गए मुद्दे।
- आदिवासी और किसान मुद्दों पर सरकार की चुप्पी।
भोपाल, 29 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन कांग्रेस विधायकों ने एक अनोखा प्रदर्शन किया, जब उन्होंने सरकार पर संवेदनहीनता का आरोप लगाते हुए बीन बजाई। विधानसभा परिसर में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों ने भैंस के आगे बीन बजाने का प्रतीकात्मक नाटक प्रस्तुत किया।
कांग्रेस का कहना है कि यह विरोध प्रदर्शन भाजपा सरकार की संवेदनहीनता और महत्वपूर्ण मुद्दों पर चुप्पी के खिलाफ किया गया। नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि भाजपा सरकार अब बिल्कुल भैंस के समान संवेदनहीन हो गई है, जो कितने भी बड़े और जनहित के मुद्दे उठाए जाएं, उन्हें सुनने और समझने को तैयार नहीं होती।
कांग्रेस का आरोप है कि राज्य में आदिवासी वर्ग पर बढ़ते अत्याचार, बढ़ती बेरोजगारी सहित विभिन्न मुद्दों को उनकी पार्टी सदन के अंदर और बाहर उठा रही है, मगर राज्य सरकार इन मुद्दों पर पूरी तरह संवेदनहीन बनी हुई है। ऐसा लगता है कि सरकार भैंस है और मजबूरी में उन्हें उसके आगे बीन बजानी पड़ रही है।
कांग्रेस के विधायक और पूर्व मंत्री सचिन यादव का कहना है कि भाजपा सरकार जनहित के मुद्दों पर चुप्पी साधे हुए है। इन्हीं जनहित के मुद्दों को लेकर कांग्रेस की ओर से लगातार प्रदर्शन किया जा रहा है। राज्य में किसान, दलित, आदिवासी, और ओबीसी आरक्षण जैसे मुद्दों के साथ राज्य में बढ़ रहे ड्रग माफिया के खिलाफ सरकार मौन साधे हुए है। ड्रग के कारोबार से जुड़े लोगों को सत्ता से जुड़े लोगों का खुला समर्थन हासिल है।
राज्य में विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा है और उसका आज मंगलवार को दूसरा दिन है। इससे पहले कांग्रेस विधायकों ने सोमवार को गिरगिट खिलौने लेकर प्रदर्शन किया था और आरोप लगाया था कि सरकार गिरगिट की तरह रंग बदल रही है।
वहीं, कांग्रेस के प्रदर्शन पर भाजपा विधायकों ने न केवल तंज कसा था बल्कि एतराज भी जताया था और कहा था कि कांग्रेस ही गिरगिट है। कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया है कि भाजपा की सरकार ने विधानसभा चुनाव के दौरान जो वादे किए थे, उन्हें पूरा नहीं किया गया। 3000 रुपए प्रतिमाह देने की बात हुई थी, मगर उस पर पूरी तरह अब तक अमल नहीं हुआ है।