क्या सीपी राधाकृष्णन का चयन स्वागतयोग्य है? : संजय उपाध्याय

सारांश
Key Takeaways
- सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाया गया है।
- संजय उपाध्याय ने इस चयन पर प्रसन्नता व्यक्त की है।
- कांग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाए हैं।
- मोदी सरकार ने अंतरिक्ष मुद्दे पर संसद में चर्चा की इच्छा जताई है।
- देशहित को हमेशा प्राथमिकता देनी चाहिए।
मुंबई, 18 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। एनडीए द्वारा महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में घोषित किए जाने पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक संजय उपाध्याय ने अपनी खुशी व्यक्त की।
उन्होने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि एनडीए के सभी सहयोगी दलों ने सर्वसम्मति से सीपी राधाकृष्णन को भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार चुना है। हम उन्हें बधाई देते हैं और उनकी जीत की कामना करते हैं। महाराष्ट्र की जनता की ओर से हम उनका अभिनंदन करते हैं। हम सभी महाराष्ट्रवासियों और देशवासियों को गर्व है कि देश को एक योग्य नेता मिलने वाला है। मुझे पूरा विश्वास है कि हम एकजुट होकर इस चुनाव को जीतेंगे। हमें उम्मीद है कि सीपी राधाकृष्णन एक अच्छे उपराष्ट्रपति साबित होंगे और देश के सामने एक मिसाल पेश करेंगे।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग पर लगाए गए आरोपों पर उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी हताश एवं निराश हैं, इसलिए वे ऐसे मुद्दों को उठाकर जन समर्थन को पुनः प्राप्त करना चाहते हैं। कांग्रेस पार्टी की लगातार हार को वे बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। राहुल गांधी का 'वोट चोरी' का आरोप बिल्कुल निराधार है। कांग्रेस पार्टी क्या चाहती है, यह समझ से परे है। राहुल गांधी आज क्या कहेंगे और कल क्या बयान देंगे, यह कहना कठिन है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी और उनके सहयोगी दलों द्वारा लोकतंत्र और संविधान पर सवाल उठाना बेहद निंदनीय है। कांग्रेस पार्टी जिस प्रकार से चुनाव आयोग पर आरोप लगा रही है, मैं उसका विरोध करते हुए माफी की मांग करता हूं।
उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला से संबंधित मुद्दे पर हमारी सरकार संसद में चर्चा करना चाहती है, लेकिन विपक्ष का व्यवहार निंदनीय है। मेरा मानना है कि अंतरिक्ष भारत के सम्मान और वैज्ञानिकों से जुड़ा मुद्दा है और सभी को इस मुद्दे पर एकजुट होना चाहिए। अंतरिक्ष जैसे विषय जो भारत की वैज्ञानिक और सामरिक दृष्टि से 21वीं सदी के भविष्य में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, उन्हें दलगत राजनीति से ऊपर रखना चाहिए। हमारे लिए देशहित हमेशा सबसे पहले होना चाहिए।