क्या साइप्रस विदेश मंत्री की यात्रा भारत के द्विपक्षीय संबंधों को नई गति देगी?
सारांश
Key Takeaways
- साइप्रस के विदेश मंत्री की भारत यात्रा का महत्व
- भारत-साइप्रस संयुक्त कार्य योजना का कार्यान्वयन
- द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा
- क्षेत्रीय-वैश्विक मुद्दों पर चर्चा
- यूरोपीय संघ में साइप्रस की भूमिका
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। साइप्रस गणराज्य के विदेश मंत्री डॉ. कॉन्स्टेंटिनोस कोम्बोस 29-31 अक्टूबर तक भारत की आधिकारिक यात्रा पर हैं। यह उनकी भारत में पहली यात्रा है, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने का संकेत देती है।
उनकी यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारत-साइप्रस संयुक्त कार्य योजना 2025-2029 का कार्यान्वयन सुनिश्चित करना और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को विस्तारित करना है।
नई दिल्ली में गुरुवार को विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और डॉ. कोम्बोस के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं की समीक्षा की। यह कार्य योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 15-16 जून की साइप्रस यात्रा के दौरान जारी संयुक्त घोषणापत्र से निकली है। पीएम मोदी की वह यात्रा 20 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की साइप्रस की पहली यात्रा थी, जिसने दोनों देशों के बीच व्यापक साझेदारी की नींव रखी।
वार्ता में व्यापार-निवेश, रक्षा-सुरक्षा, समुद्री सहयोग, प्रौद्योगिकी-नवाचार, संस्कृति, पर्यटन और लोगों के बीच संपर्क जैसे क्षेत्रों में प्रगति पर संतोष व्यक्त किया गया। दोनों मंत्रियों ने क्षेत्रीय-वैश्विक मुद्दों और बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग पर भी चर्चा की। जयशंकर ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में साइप्रस के अटूट समर्थन के लिए भारत सरकार की सराहना की। साइप्रस ने हमेशा संयुक्त राष्ट्र और अन्य मंचों पर भारत के पक्ष का समर्थन किया है।
डॉ. कोम्बोस ने गुरुवार को गांधी स्मृति संग्रहालय का दौरा किया और महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। उसी दिन उन्होंने भारतीय विश्व मामलों की परिषद (आईसीडब्ल्यूए) में 55वां सप्रू हाउस व्याख्यान दिया, जिसका विषय 'साइप्रस और विश्व' था। व्याख्यान में उन्होंने साइप्रस की विदेश नीति, यूरोपीय संघ में भूमिका और भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी पर प्रकाश डाला।
यह यात्रा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि साइप्रस 1 जनवरी 2026 से यूरोपीय संघ की परिषद की अध्यक्षता ग्रहण करेगा। इससे भारत-ईयू रणनीतिक साझेदारी को नई गति मिल सकती है। साइप्रस भारत का यूरोपीय संघ में मजबूत सहयोगी है और दोनों देश इंडो-पैसिफिक, मध्य पूर्व और पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र में समान हित साझा करते हैं।