क्या दक्षिण अफ्रीका से शुरू हुआ 'सत्याग्रह', गांधीजी ने इस दिन अहिंसा का रास्ता दिखाया?

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क्या दक्षिण अफ्रीका से शुरू हुआ 'सत्याग्रह', गांधीजी ने इस दिन अहिंसा का रास्ता दिखाया?

सारांश

महात्मा गांधी का 'सत्याग्रह' आंदोलन दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था। जानें कैसे यह आंदोलन अहिंसा की विचारधारा को स्थापित करने में सहायक बना।

Key Takeaways

  • सत्याग्रह आंदोलन ने भारतीयों के अधिकारों की रक्षा की।
  • महात्मा गांधी ने अहिंसक प्रतिरोध का एक नया उदाहरण प्रस्तुत किया।
  • यह आंदोलन दक्षिण अफ्रीका में शुरू हुआ था।

नई दिल्ली, 10 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। 'चंपारण सत्याग्रह' (1917) हो या 'असहयोग आंदोलन' (1920) या फिर 'भारत छोड़ो आंदोलन' (1942), ये सभी आंदोलन स्वतंत्रता संग्राम का अभिन्न हिस्सा थे, जिन्होंने न केवल स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया बल्कि मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा का खिताब भी दिलाया। लेकिन आज हम आपको बापू के उस आंदोलन के बारे में बताएंगे, जो उन्होंने भारत की सीमाओं से परे, दक्षिण अफ्रीका में चलाया।

महात्मा गांधी ने 11 सितंबर, 1906 को दक्षिण अफ्रीका में 'सत्याग्रह आंदोलन' की नींव रखी। यह आंदोलन न केवल भारतीयों के अधिकारों की रक्षा के लिए था, बल्कि यह एक ऐसी विचारधारा थी, जिसने विश्व भर में अहिंसक प्रतिरोध की शक्ति को स्थापित किया।

इस आंदोलन की शुरुआत उस समय हुई, जब 1906 में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय प्रवासियों, खासकर गुजराती व्यापारियों और मजदूरों को भेदभावपूर्ण कानूनों का सामना करना पड़ रहा था।

गांधीजी की सेवाग्राम आश्रम की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, ट्रांसवाल सरकार ने 'एशियाटिक लॉ अमेंडमेंट ऑर्डिनेंस' (जिसे ब्लैक एक्ट भी कहा गया) लागू किया, जिसके अंतर्गत सभी भारतीयों को पंजीकरण कराना और पहचान पत्र साथ रखना अनिवार्य था। यह कानून अत्यंत अपमानजनक और अन्यायपूर्ण था, जिसने भारतीय समुदाय में भारी आक्रोश पैदा किया।

ट्रांसवाल सरकार के एक अधिनियम ने सभी एशियाई लोगों की नागरिकता को खतरे में डाल दिया। गांधीजी ने 11 सितंबर, 1906 को दक्षिण अफ्रीका में पहला सत्याग्रह शुरू कर सरकार के फैसले के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज किया।

11 सितंबर, 1906 को जोहान्सबर्ग के एम्पायर थिएटर में आयोजित सभा में गांधीजी ने इस कानून के खिलाफ अहिंसक प्रतिरोध का आह्वान किया। उन्होंने लोगों से इस कानून का उल्लंघन करने और सत्य और अहिंसा के साथ खड़े होने का आग्रह किया। यह सत्याग्रह का पहला औपचारिक कदम था। गांधीजी ने इस आंदोलन को 'सत्याग्रह' नाम दिया, जो सत्य और अहिंसा पर आधारित था।

ट्रांसवाल सरकार के इस निर्णय के खिलाफ महात्मा गांधी को जनता का समर्थन मिला। बापू ने इस आंदोलन के माध्यम से सत्य और अहिंसा का संदेश दिया। इस सत्याग्रह में कोई भी हिंसा का स्थान नहीं था। इसका उद्देश्य अन्याय के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करना था।

गांधीजी का मानना था कि सत्य और नैतिकता की शक्ति किसी भी अन्याय को परास्त कर सकती है। इस आंदोलन में भारतीय समुदाय के पुरुष, महिलाएं और बच्चों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

इस कानून के विरोध में भारतीयों ने पंजीकरण से इनकार कर दिया और कई गिरफ्तारियां दीं। महात्मा गांधी को भी कई बार जेल जाना पड़ा। 1913 तक यह आंदोलन और व्यापक हुआ, जिसमें हजारों भारतीयों ने भाग लिया। आंदोलन के दबाव में दक्षिण अफ्रीकी सरकार को 1914 में भारतीय राहत अधिनियम (इंडियन रिलीफ एक्ट) लाना पड़ा, जिसने कई भेदभावपूर्ण कानूनों को हटाया।

'सत्याग्रह आंदोलन' को सफल बनाने के बाद महात्मा गांधी 19 जुलाई, 1914 को केपटाउन से भारत के लिए रवाना हुए और 9 जनवरी, 1915 को मुंबई पहुंचे, लेकिन इस सत्याग्रह ने दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के अधिकारों की रक्षा की और उनकी स्थिति में सुधार किया।

यह गांधीजी के दर्शन और नेतृत्व का पहला बड़ा प्रयोग था, जिसे उन्होंने बाद में भारत में चंपारण (1917), खेड़ा (1918) और असहयोग (1920) जैसे आंदोलनों में लागू किया।

Point of View

बल्कि यह विश्व स्तर पर अहिंसक प्रतिरोध की एक नई परिभाषा भी प्रदान की। यह आंदोलन स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण अध्याय था, जिसने भारतीय समुदाय को एकजुट किया।
NationPress
10/09/2025

Frequently Asked Questions

सत्याग्रह आंदोलन का उद्देश्य क्या था?
सत्याग्रह आंदोलन का उद्देश्य भारतीयों के अधिकारों की रक्षा करना और भेदभावपूर्ण कानूनों के खिलाफ अहिंसक प्रतिरोध करना था।
महात्मा गांधी ने सत्याग्रह आंदोलन कब शुरू किया?
महात्मा गांधी ने 11 सितंबर, 1906 को दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की।
सत्याग्रह का अर्थ क्या है?
सत्याग्रह का अर्थ है सत्य और अहिंसा के आधार पर प्रतिरोध करना।