क्या दत्तात्रेय होसबोले के बयान पर शिवसेना नेता अरविंद सांवत का पलटवार उचित है?

सारांश
Key Takeaways
- आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले का बयान संविधान में शब्दों पर बहस की आवश्यकता को दर्शाता है।
- अरविंद सावंत ने पलटवार करते हुए उनके बयानों को गड़े मुर्दे उखाड़ने की आदत बताया।
- आपातकाल के दौरान संविधान में महत्वपूर्ण बदलाव हुए थे।
- संविधान में संशोधन के संदर्भ में डॉ. आंबेडकर का दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है।
- संविधान में अब तक 106 बार संशोधन हो चुके हैं।
दिल्ली, 27 जून (राष्ट्र प्रेस)। आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने संविधान की प्रस्तावना में शामिल 'धर्मनिरपेक्ष' और 'समाजवादी' शब्दों को बनाए रखने पर फिर से बहस करने की ज़रूरत बताई है। इस पर शिवसेना (यूबीटी) के नेता अरविंद सावंत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इन लोगों के पास गड़े मुर्दे उखाड़ने के अलावा कोई और काम नहीं है।
राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए अरविंद सावंत ने कहा, "इनलोगों को अपनी असफलता छिपाने की आदत है, इसलिए ये हमेशा ऐसे बयान देते रहते हैं। अगर पीछे जाना ही है तो सौ साल पीछे जाकर देखिए कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में इनका क्या योगदान है। क्या आप अंग्रेजों के साथ थे या स्वतंत्रता आंदोलन में?"
दत्तात्रेय होसबोले ने हाल ही में कहा कि संविधान की प्रस्तावना में आपातकाल के दौरान 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द बिना चर्चा के जोड़े गए थे। इन शब्दों को बनाए रखने पर देश में खुली बहस होनी चाहिए।
इस बयान का कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने विरोध किया है। आपातकाल के दौरान संविधान में बड़े बदलाव किए गए थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 42वें संशोधन के तहत प्रस्तावना में 'समाजवादी', 'धर्मनिरपेक्ष', 'एकता और अखंडता' शब्द जोड़े थे। यह बदलाव तब हुआ जब अधिकांश विपक्षी नेता जेल में थे।
संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर ने संशोधनों पर स्पष्ट दृष्टिकोण रखा था। उन्होंने कहा था कि संविधान को पत्थर की लकीर नहीं माना जाना चाहिए और जरूरत पड़ने पर बदलाव की बात भी कही थी। लेकिन, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि संशोधन किसी भी सरकार के लाभ के लिए नहीं होना चाहिए।
संविधान में पहला संशोधन 18 जून 1951 को पंडित नेहरू के कार्यकाल में हुआ था। अब तक संविधान में 106 बार संशोधन किए जा चुके हैं। कांग्रेस नीत सरकारों ने 55 साल में 77 संशोधन किए हैं, जबकि भाजपा की नेतृत्व वाली एनडीए सरकारों ने 16 साल में 22 संशोधन किए हैं।